व्यापारियों के अनुसार राजस्थान में दलहन पर 1.60 प्रतिशत मण्डी शुल्क और 0.50 प्रतिशत कृषक कल्याण नामक सेस वसूला जा रहा है। व्यापारी कृषक कल्याण फीस को पूरी तरह समाप्त करने तथा मंडी टैक्स भी एक प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं। व्यापारी मंडी के बाहर दलहन की खरीद और दूसरे प्रदेशों से आनी वाली दलहन पर फिर से मंडी टैक्स की वसूली के खिलाफ हैं।
जयपुर। बाजार में मसालों, खाद्य तेल और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ गरीबों की दाल पर भी महंगाई की मार पड़ रही है। महंगाई की इस मार से आमजन तो परेशान हैं व्यवसायी भी परेशान हैं। टैक्स की दोहरी मार से पीड़ित दाल मिलर्स तीन माह से आंदोलनरत हैं। मांगों को लेकर दाल मिल व्यवसायी राज्य के मुख्य मंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा सहित प्रमुख ब्यूरोक्रेट के गुहार लगा रहे हैं।
उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री दिया कुमारी से मुलाकात कर व्यापारियों ने ज्ञापन सौंपा। दिया कुमारी ने व्यवसायियों को आश्वस्त किया कि मंत्रिमंडल की बैठक से पहले उनके पक्ष को उच्च स्तर पर सुनकर सकारात्मक समाधान निकाला जाएगा।
जयपुर दाल मिलर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन अग्रवाल ने दाल मिल व्यापारियों की वास्तविक समस्या उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी के समक्ष रखी। अग्रवाल ने कहा कि दाल मिलों के दूसरे राज्यों में पलायन का संकट भी टलेगा और दाल मिलों से हजारों लोगों को जो रोजगार मिला हुआ है, वह भी यथावत रहेगा।
इतना वसूला जा रहा टैक्स
व्यापारियों के अनुसार राजस्थान में दलहन पर 1.60 प्रतिशत मण्डी शुल्क और 0.50 प्रतिशत कृषक कल्याण नामक सेस वसूला जा रहा है। व्यापारी कृषक कल्याण फीस को पूरी तरह समाप्त करने तथा मंडी टैक्स भी एक प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं। व्यापारी मंडी के बाहर दलहन की खरीद और दूसरे प्रदेशों से आनी वाली दलहन पर फिर से मंडी टैक्स की वसूली के खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि दूसरे प्रदेशों में मंडी टैक्स देकर दलहन खरीद कर लाते हैं तो यहां फिर से टैक्स वसूली मोदी सरकार की "वन नेशन, वन टैक्स" नीति के भी खिलाफ है। दूसरे राज्यों से दलहन प्रोसोसिंग के लिए आती है, फिर बाहर चली जाती है। ऐसे में टैक्स की मार बेवजह ही व्यापारियों पर लादी जा रही है। राजस्थान की मंडी कर नीति के चलते दूसरे प्रदेशों के दाल मिलर्स सस्ते में माल बेच रहे हैं और प्रदेश के व्यापारी अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
ये बोले व्यापारी
बिसाऊ के दाल मिल संचालक रामप्रकाश बीरमीवाला ने कहा कि राजस्थान राज्य के बाहर से आने वाले कच्चे माल ( दलहन ) को मंडी टैक्स से मुक्त किया जाए, क्योंकि उस पर पहले से ही टैक्स लगा हुआ रहता है। कोरोना काल में लगाया गया कृषि कल्याण शेष खत्म किया जाए। मंडी टैक्स दर 1.60% बहुत ज्यादा है इसे कम किया जाए।