डेढ़ महीने की मेहनत पर फिरा पानी, कारीगर बोले सूदखोर की उधारी चुकाना भी होगा मुश्किल। अब कैसे जाएंगे दिवाली पर अपने घर।
जयपुर. दशहरे की तैयारी में जुटे कारीगरों की उम्मीदें और सपने मंगलवार शाम को हुई झमाझम बारिश में चंद मिनटों में ही ध्वस्त हो गए। मानसरोवर मेट्रो स्टेशन, गुर्जर की थड़ी, सीकर रोड, इमली फाटक के पास और अन्य इलाकों में महीनों की मेहनत से बनाए गए रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले पानी में भीगकर बर्बाद हो गए। दो महीने की थकान और मेहनत, घर चलाने की उम्मीदें, सब कुछ बारिश की बूंदों में बह गया। दशहरे से पहले यह झटका कारीगरों और उनके परिवारों के लिए गहरी मायूसी लेकर आया।
कारीगर सोहन गुजराती ने कहा कि स्थानीय प्रशासन यदि उनके लिए शेड या स्थायी जगह की व्यवस्था कर देता तो नुकसान टाला जा सकता था। उन्होंने कहा कि सालभर इसी काम से जीवन यापन करते हैं। बारिश से हुए नुकसान की कोई भरपाई नहीं है। अब दिवाली पर घर रोशन करने का सपना अधूरा रह जाएगा। साहूकार का उधारी चुकाना भी मुश्किल हो गया है।
इस बारिश से रावण के पुतले बनाने वाले कारिगर ही परेशान नहीं हैं, बल्कि वे लोग भी परेशान हैं जो आयोजन की तैयारियों में जुटे थे। आयोजकों का कहना है कि इस बार तो रावण दहन करना ही मुश्किल है। अब सिर्फ १ दिन में इतना बड़ा रावण कैसे तैयार होगा। बारिश से अधिकांश पुतले गल गए, पानी भर गया।
अहमदाबाद से आए कारीगर सुरेश गुजराती ने आंसू पोंछते हुए कहा कि सिर्फ इस बारिश से रावण ही नहीं गला, बल्कि उनके और उनके परिवार के अरमान भी गल गए। उनका कहना था कि अब दिवाली कैसे मनाएंगे? कैसे अपने घर जाएंगे? बारिश ने उनकी डेढ़ माह की मेहनत पर पानी फेर दिया। उनका कहना था कि ७० हजार रुपए सेठ से उधार ब्याज पर लिए थे, सब सही चल रहा था। अचानक आई बारिश ने सब बर्बाद कर दिया। अब घर का चूल्हा जलाना भी मुश्किल हो गया। सोचा था रावण के पुतले बेचकर इस बार अच्छी कमाई होगी, बच्चों को भी दिवाली पर पटाखे मिठाई, दिलाएंगे, लेकिन सब नष्ट हो गया। जिन ग्राहकों से वादा कर रखा था, उनको अब क्या जवाब देंगे?