स्कूल समय के दौरान बाल वाहिनियों का बड़े स्तर पर औचक निरीक्षण शुरू हुआ।
राजधानी में आज सुबह स्कूल समय के दौरान बाल वाहिनियों का बड़े स्तर पर औचक निरीक्षण शुरू हुआ। यह कार्रवाई राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशन में की गई। अभियान का नेतृत्व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मेट्रो-1 और मेट्रो-2 की टीमों ने किया। इस दौरान स्कूल बाल वाहिनियों में हलचल मच गई। सुबह 7:30 बजे शुरू हुए इस संयुक्त ऑपरेशन में दो क्षेत्रों में अलग-अलग टीमें बनाई गईं। प्रथम क्षेत्र में एडीजे दीपेंद्र माथुर और द्वितीय क्षेत्र में एडीजे पल्लवी शर्मा ने निरीक्षण किया। दोनों क्षेत्रों में मोबाइल मजिस्ट्रेट, ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की टीमें तैनात की गई। जिन्होंने मौके पर कार्रवाई की।
निरीक्षण के दौरान कई स्कूल वाहिनियों में बड़ी लापरवाही सामने आई। कई वैनों व टैक्सी में क्षमता से अधिक बच्चे ठूंसे मिले। कुछ वैनों में तो 14 से 17 बच्चे बैठे मिले, जबकि अनुमति सीमित संख्या की ही है। बच्चों की सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा मानते हुए ऐसी बाल वाहिनियों को मौके पर ही जप्त कर लिया गया। आरटीओ और पुलिस ने कई वाहनों के चालान भी बनाए। जो ड्राइवर आवश्यक दस्तावेज परमिट, फिटनेस, बीमा, लाइसेंस नहीं दिखा पाए, उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की गई। कई गाड़ियों में फर्स्ट एड बॉक्स, फायर एक्सटिंग्विशर और इमरजेंसी गेट तक नहीं थे।
विधिक सेवा प्राधिकरण की टीम ने साफ कहा कि स्कूल वाहिनियों में बढ़ रही मनमानी बच्चों की जान से खिलवाड़ है। इसलिए यह अभियान बड़े पैमाने पर लगातार चलाया जाएगा। बच्चों की सुरक्षा से जुड़े नियमों में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। निरीक्षण के दौरान अभिभावकों ने भी राहत महसूस की और कहा कि ऐसे अभियानों की जरूरत लंबे समय से थी। कई बार वे खुद शिकायत करते हैं कि वैन चालक बच्चों की क्षमता से ज्यादा सीटें भर देते हैं और तेज रफ्तार में वाहन चलाते हैं। मोबाइल मजिस्ट्रेटों ने कहा कि हर वाहन की गहन जांच की जाए। जो वैनें नियमों के अनुरूप मिलीं, उन्हें आगे जाने दिया गया। जबकि नियमों की अवहेलना करने वाली वाहिनियों को सीज कर थाने भिजवाया गया।