Anta bypolls : बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग इस महीने डेट की घोषणा कर सकता है। चुनाव आयोग ने अंता विधानसभा उपचुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर दी है।
Anta bypolls : बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग इस महीने डेट की घोषणा कर सकता है। चुनाव आयोग ने अंता विधानसभा उपचुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर दी है। इसके साथ ही राजस्थान के 15 आईएएस और 3 आईपीएस अधिकारियों को बिहार और अन्य राज्यों में होने वाले उपचुनावों के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है।
अंता सीट से कंवरलाल मीणा भाजपा पार्टी से विधायक चुने गए थे। पर उन पर 19 साल पुराने एक मामले में एसडीएम पर पिस्तौल तानने का आरोप था। जिस पर कोर्ट ने 3 साल की जेल की सजा सुनाई। सजा के साथ ही 1 मई से कंवरलाल मीणा की विधायकी चली गई थी। इसके बाद अंता सीट को खाली घोषित किया गया था। अब इस सीट पर उपचुनाव करवाए जाने तैयारियां तेज हो गई हैं।
निर्वाचन विभाग ने 1 अक्टूबर को अंता की फाइनल वोटर लिस्ट जारी कर दी, जिसमें 1136 नए मतदाता जुड़े हैं। यह उपचुनाव राजस्थान के दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
उधर केंद्रीय चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ राज्यों में उपचुनावों के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। चुनाव आयोग ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 320, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 60 और आईआरएस, आईआरएएस और आईसीएएस जैसी सेवाओं के 90 अधिकारियों सहित कुल 470 अधिकारियों को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है।
भारत का चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 में मिले अधिकारों और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों के संचालन पर नजर रखने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की तैनाती करता है। पर्यवेक्षक अपनी नियुक्ति से लेकर चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक आयोग के अधीक्षण, नियंत्रण और अनुशासन के अधीन कार्य करते हैं।
पर्यवेक्षकों को चुनावों की न्याय, निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की महत्वपूर्ण और गंभीर जिम्मेदारी सौंपी जाती है, जो देश की लोकतांत्रिक राजनीति का आधार हैं। वे आयोग की आंख और कान के रूप में काम करते हैं और समय-समय पर और जरूरत के अनुसार आयोग को रिपोर्ट भेजते हैं।
प्रशासनिक सेवाओं में अपनी वरिष्ठता और लंबे अनुभव के आधार पर, सामान्य और पुलिस पर्यवेक्षक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में आयोग की सहायता करते हैं। पर्यवेक्षक न सिर्फ स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी चुनाव कराने के अपने संवैधानिक दायित्व को पूरा करने में आयोग की मदद करते हैं, बल्कि मतदाताओं की जागरुकता और चुनावों में उनकी भागीदारी बढ़ाने में भी योगदान देते हैं। पर्यवेक्षकों का मुख्य उद्देश्य सुधार के क्षेत्रों की पहचान करना और ठोस व प्रभावी सुझाव तैयार करना है।
बिहार विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर (बडगाम और नगरोटा विधानसभा - उपचुनाव)
राजस्थान (अंता विधानसभा - उपचुनाव)
झारखंड (घाटशिला विधानसभा - उपचुनाव))
तेलंगाना (जुबली हिल्स विधानसभा - उपचुनाव))
पंजाब (तरनतारन विधानसभा - उपचुनाव))
मिजोरम (डम्पा विधानसभा - उपचुनाव))
ओडिशा (नुआपाड़ा विधानसभा - उपचुनाव))।