एआई संचालित एंडोस्कोपी सिस्टम डॉक्टरों के लिए तीसरी आंख की तरह काम करता है।
जयपुर। राजधानी में राजस्थान का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित और एडवांस्ड थेरेप्टिक जीआई एंडोस्कोपी विभाग शुरू किया गया है। यह एआई संचालित एंडोस्कोपी सिस्टम डॉक्टरों के लिए तीसरी आंख की तरह काम करता है। एंडोस्कोपी के दौरान मिलने वाले वीडियो फीड का यह तकनीक वास्तविक समय में विश्लेषण करती है और किसी भी संदिग्ध हिस्से को तुरंत स्क्रीन पर हाइलाइट कर देती है।
पारंपरिक एंडोस्कोपी में जिन सूक्ष्म असामान्यताओं को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस नई एआई तकनीक से उनका आसानी से पता लगाया जा सकता है। ऊपरी एंडोस्कोपी हो या कोलोनोस्कोपी, दोनों प्रक्रियाओं में एआई का हस्तक्षेप जांच की गुणवत्ता को कई गुना बढ़ा देता है।इसका उद्घाटन राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने किया। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि यह तकनीक शुरुआती चरण में ही गंभीर बीमारियों की पहचान कर लेती है।
इससे कई मामलों में बिना सर्जरी के एंडोस्कोपिक उपचार संभव हो जाता है। लगभग 8–10 मिनट में पूरी होने वाली यह प्रक्रिया हल्के सेडेशन के साथ लगभग दर्द रहित होती है और मरीज को सामान्यतः एक घंटे के भीतर छुट्टी दे दी जाती है। यह आधुनिक सुविधा उन मरीजों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकती है जो लंबे समय से पेट संबंधी तकलीफों से जूझ रहे हैं या जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास रहा है।
विभाग के सीनियर डायरेक्टर और हेड डॉ. श्याम सुंदर शर्मा के अनुसार एआई एंडोस्कोपी पेट से जुड़ी बीमारियों के शुरुआती निदान में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। उनके मुताबिक देश में बड़ी संख्या में लोग बीमारी बढ़ जाने के बाद ही डॉक्टर तक पहुंचते हैं, जिससे उपचार मुश्किल हो जाता है। लेकिन यदि 45–50 वर्ष की आयु के लोग, तंबाकू सेवन करने वाले, लगातार पेट की समस्या से जूझ रहे मरीज या बिना कारण वजन कम होने जैसी स्थितियों वाले लोग समय रहते एआई एंडोस्कोपी करवा लें, तो गंभीर बीमारियों का समय पर पता लगाकर उपचार की सफलता दर कई गुना बढ़ाई जा सकती है।