Tigress arrived by helicopter at Jaipur: जयपुर। जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहली बार हेलिकॉप्टर से मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से तीन वर्षीय बाघिन पीएन-224 को राजस्थान लाया गया।
Tigress arrived by helicopter at Jaipur: जयपुर। जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हेलिकॉप्टर से आमतौर पर सेलिब्रिटी, बड़े राजनेता और उद्योगपति आते हैं, लेकिन रविवार रात 10:10 यहां पहली बार विशेष मेहमान पहुंचीं। खास बात यह रही कि उन्हें किसी प्राइवेट चार्टर की बजाय इंडियन एयरफोर्स के विशेष हेलिकॉप्टर एमआई-17 से लाया गया।
सूचना मिलते ही एयरपोर्ट प्रबंधन से लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गईं। तय प्रक्रिया के तहत उन्हें तुरंत उतारकर वन विभाग के विशेष वाहन में शिफ्ट किया गया और सड़क मार्ग से रवाना कर दिया गया। उनकी अगुवानी में वन विभाग का अमला मौजूद रहा। यह जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के इतिहास में पहली बार हुआ।
माजरा ये है कि, रविवार को मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से तीन वर्षीय बाघिन पीएन-224 को राजस्थान लाया गया। इंडियन एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर एमआई-17 से उसे एयरलिफ्ट कर रविवार रात 10:10 बजे जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के स्टेट हैंगर पर उतारा गया। जयपुर पहुंचते ही वन विभाग की टीम बाघिन को लेकर तुरंत सड़क मार्ग से बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के लिए रवाना हो गई, जहां देर रात उसे सुरक्षित रूप से पहुंचा दिया गया।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि, यह राजस्थान का पहला अंतर-राज्यीय टाइगर ट्रांसलोकेशन है। इसका उद्देश्य प्रदेश में जीन में सुधार करना है। खासबात है कि, राजस्थान में दूसरे राज्य से इस तरह बाघिन को लाकर बसाने का यह पहला मामला है। उनका कहना है कि, यह सिर्फ शुरुआत है। कुल पांच बाघिन लाई जाएगी। जिसमें मध्यप्रदेश से तीन और महराष्ट्र से दो लाई जाएगी।
बताया जा रहा है कि बाघिन को टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बजालिया इलाके में एक हेक्टेयर में बने विशेष एनक्लोजर में रखा जाएगा। पेंच टाइगर रिजर्व में उसे ट्रेंकुलाइज करने के बाद रेडियो कॉलर लगाया गया है। इसके साथ ही एआई आधारित कैमरा ट्रैप और सेंसर सिस्टम से उसकी गतिविधियों की लगातार निगरानी की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार बाघिन को रामगढ़ विषधारी लाने के लिए वन विभाग के विशेषज्ञों की टीम करीब दो सप्ताह तक पेंच टाइगर रिजर्व में डेरा डाले रही। इस दौरान बाघिन को ट्रैक करने, रेडियो कॉलर लगाने और स्वास्थ्य परीक्षण के कई प्रयास किए गए।
एक बार रेडियो कॉलर हटने के बाद बाघिन जंगल की ओर चली गई, जिससे अभियान में और देरी हुई। आखिरकार हाथियों की मदद से बाघिन को ट्रेंकुलाइज किया गया। इस दौरान बाघिन ने दोनों राज्यों के वन अमले को काफी छकाया, लेकिन अंततः मिशन सफल रहा और उसे सुरक्षित रूप से राजस्थान लाया जा सका।