Chandra Grahan Today : भाद्रपद पूर्णिमा पर रविवार को खग्रास चंद्रग्रहण यानि पूर्णचंद्रग्रहण लगेगा। मध्यरात्रि में लालिमा युक्त ‘ब्लड मून’ का विशेष नजारा दिखेगा। करीब 100 वर्ष बाद यह पहला अवसर होगा जब पितृपक्ष की शुरुआत पर चंद्रग्रहण और समापन सूर्यग्रहण के साथ होगा।
Chandra Grahan Today : भाद्रपद पूर्णिमा पर रविवार को खग्रास चंद्रग्रहण के साथ ही पहली बार श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होगी। करीब 100 वर्ष बाद यह पहला अवसर होगा जब पितृपक्ष की शुरुआत पर चंद्रग्रहण और समापन सूर्यग्रहण के साथ होगा। वहीं इस बार श्राद्ध पक्ष में तृतीय व चतुर्थी का श्राद्ध एक ही दिन होगा। ज्योतिषविदों के मुताबिक चंद्रग्रहण मध्यरात्रि को सम्पूर्ण भारत में खग्रास रुप में दिखाई देगा। इसकी शुरुआत रात 9.57 बजे व समापन रात बाद 1.27 बजे होगा। इससे पूर्व नौ घंटे पहले दोपहर 12.57 बजे से सूतक काल की शुरुआत होने के साथ ही जयपुर सहित प्रदेशभर के मंदिरों के कपाट भी बंद रहेंगे। जयपुर में रविवार शाम 6.32 बजे चंद्रोदय होगा। भारत में 9.57 बजे चंद्रग्रहण प्रारंभ होगा।
ज्योर्तिविद पं.घनश्याम लाल स्वर्णकार और पं.दामोदर प्रसाद शर्मा के अनुसार सूतक के समय देव विग्रहों का स्पर्श या दर्शन-पूजन वर्जित होता है। ग्रहण काल में कुछ भी खाना-पीना वर्जित माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक के साथ वैज्ञानिक कारण भी हैं। ग्रहण की अवधि में आकाश मंडलीय रश्मियां धरती पर आती हैं, जिसके कारण जल आदि दूषित हो जाते हैं।
बिड़ला तारामंडल जयपुर के पूर्व सहायक निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि यह ग्रहण पूर्णचंद्रग्रहण है। इसमें चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की गहरी छाया में आ जाता है और लालिमा लिए दिखता है, इसे ब्लड मून भी कहते हैं। चंद्रग्रहण तब होता है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी लाइन में आ जाते हैं। इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है, तो ये चंद्रमा तक पहुंचने वाले सूर्य के प्रकाश को रोक देती है। इस स्थिति में चंद्र पर पृथ्वी की छाया पड़ने लगती है। नतीजतन हमें चंद्र या तो आंशिक रूप से या पूरी तरह से ढका हुआ दिखाई देने लगता है। एक पखवाड़े में दो ग्रहण लंबे समय बाद लग रहे हैं। पूर्ण चंद्रगहण के बाद 21 सितंबर को खंड सूर्यग्रहण रहेगा, यह सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक यहां नहीं लगेगा।
यह ग्रहण भारत के अतिरिक्त सम्पूर्ण यूरोप, एशिया, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, न्यूजीलैंड, पश्चिमी उत्तरी अमेरिका, प्रशांत महासागर, पूर्वी अंटार्कटिका महासागर,हिन्द महासागर सहित अन्य 30 से अधिक देशों में खग्रास रूप में व अमेरिका के कुछ भाग पुर्तगाल व ब्राजील में यह आंशिक रूप से दिखाई देगा।
9.57 बजे (रात्रि) ग्रहण का स्पर्श
11.01 बजे (रात्रि) खग्रास प्रारम्भ
11.42 बजे (रात्रि) ग्रहण का मध्यकाल
1.27 बजे (रात्रि) ग्रहण की समाप्ति।
पूर्ण चंद्रगहण क्षितिज के ऊपर होने के कारण नंगी आंखों से दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण से विपरीत चंद्रग्रहण देखना सुरक्षित माना जाता है। इसके लिए विशेष चश्मे, फिल्टर या किसी अन्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। चूंकि पूर्ण चंद्रग्रहण की लालिमा पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा सूर्य के प्रकाश के कारण बनती है, इसलिए इसे नंगी आंखों से देखना अच्छा है। हालांकि दूरबीन या अन्य विशेष लैंस से इसे और बेहतर बनाया जा सकता है।
ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ के मुताबिक पूर्ण चंद्रग्रहण भारत के सभी हिस्सों से दिखाई देगा। पूरे देश में ग्रहण की शुरुआत से लेकर अंत तक उपच्छाया सहित ग्रहण के सभी चरण दिखेंगे। इस दिन पूर्णिमा का महालय श्राद्ध भी है श्राद्ध काल में (अपराह्न के समय) सूतक लगा रहेगा। ग्रहण के सूतक व ग्रहण अवधि में स्नान, दान, जप, मंत्र, स्तोत्र पाठ, मंत्रसिद्धि, तीर्थस्नान, ध्यान, यज्ञादि शुभ कार्य कल्याणकारी होते हैं। बच्चों, वृद्ध व रोगियों, गर्भवती महिला को छोड़कर धार्मिकजनों को भोजनादि नहीं करना चाहिए।