Jaipur Harmada Accident: जयपुर के हरमाड़ा में हुए भीषण सड़क हादसे ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं। हादसे में पिता-पुत्र समेत 14 लोगों की मौत हो गई। किसी की दुकान खुली रह गई तो किसी की गोद सूनी हो गई।
Jaipur Harmada Accident: जयपुर: हरमाड़ा में हुए दर्दनाक सड़क हादसे ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं। हादसे में मारे गए लोगों के घरों में मातम पसरा है, हर आंख नम है। मृतक विनोद के पिता रामप्रसाद की रुलाई थमने का नाम नहीं ले रही थी। वह बार-बार बस इतना ही कह पाए, विनोद परचून की दुकान करता था… स्कूटी लेकर निकला ही था…।
इसके बाद उनकी आवाज भर्रा गई और वह जोर-जोर से रोने लगे। उनकी आंखों में अपने दो छोटे-छोटे पोते-पोती के भविष्य की चिंता साफ झलक रही थी। “उनका क्या होगा…” यह सवाल हवा में गूंजता रहा, जिसका जवाब किसी के पास नहीं था।
इसी हादसे में मारे गए सुरेश मीणा के छोटे भाई हरिराम भी सदमे में थे। पथराई आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। उन्हें संभालते हुए चचेरे भाई हरसहाय ने बताया कि सुरेश, जो निवाई के पास राजधीराजपुरा गांव का रहने वाला था, सीकर से अपना काम खत्म कर लौट रहा था।
तभी हादसे की खबर आई। “हमें तो बस फोन पर पता चला…” इतना कहते ही हरिराम की आंखों से आंसुओं की धार बह निकली। ट्रोमा सेंटर का माहौल शोक में डूबा था। जो भी परिजन वहां पहुंचता, उसके कदम लड़खड़ा जाते और आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं लेते।
हरमाड़ा का भीषण सड़क हादसा सिर्फ 14 मौतों का आंकड़ा नहीं है, यह जयपुर की टूटती आत्मा, बुझती मुस्कान और अचानक खामोश हो गए घरों की दर्दनाक कहानी है। सोचिए, उन परिवारों के बारे में जो कुछ घंटे पहले तक दीपावली के बाद की खुशियों में डूबे थे, जहां हंसी की गूंज थी और अब सन्नाटा पसरा है।
यह हादसा सिर्फ रफ्तार या लापरवाही का परिणाम नहीं, बल्कि उस भरोसे के टूटने की तस्वीर है जो हर आम नागरिक प्रशासन और व्यवस्था पर रखता है। सोमवार को ट्रोमा सेंटर की दीवारों ने जितनी चीखें और सिसकियां सुनीं, उतनी शायद किसी रात या दिन में कभी नहीं गूंजी होंगी।