Jaipur : जयपुर के सुभाष चौक के जर्जर मकान ढहने और बाप-बेटी की मौत के बाद हैरिटेज नगर निगम हरकत में आया। सीमा क्षेत्र में 178 जर्जर मकान हैं। अब निगम मुनादी करा रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
Jaipur : जयपुर के सुभाष चौक के जर्जर मकान ढहने और बाप-बेटी की मौत के बाद हैरिटेज नगर निगम हरकत में आया। महीनों से नोटिसों की खानापूर्ति करने वाला निगम अब मुनादी कर लोगों को सतर्क कर रहा है। सवाल यह है कि क्या इन मौतों के बिना भी निगम जागता? किशनपोल जोन में सबसे ज्यादा 79 जर्जर मकान हैं, लेकिन कार्रवाई केवल तीन पर हुई। बाकी जगह या तो मालिकों ने कागजों पर मरम्मत दिखा दी, या मामले कोर्ट में लंबित हैं। नतीजा यह कि खतरा जस का तस खड़ा है।
मिश्र राजाजी का रास्ता हो या पंचगली, ऐसे कई परिवार हैं जो अपनी मजबूरी के कारण जर्जर मकानों में रह रहे हैं। पुष्पा व्यास बताती हैं, पैसे नहीं हैं, मकान का आधा हिस्सा गिर चुका है। बची-खुची जगह में ही परिवार के साथ रह रहे हैं।” निगम नोटिस चिपका जाता है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं।
हादसे के बाद निगम ने टीमें बनाकर मुनादी शुरू करवाई। लाउडस्पीकर से कहा जाने लगा, जर्जर मकानों में न रहें, आपकी जान की चिंता है। सवाल यही है-क्या ये चिंता पहले क्यों नहीं जागी?
त्रिपोलिया बाजार की नाटाणियों की हवेली पर निगम ने 4 अगस्त को कार्रवाई की थी। अधिकारी तमाशबीन बने रहे और बाद में फिर से नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर दी। मालिक खुद लिखित में निगम से कह चुके हैं कि हवेली को गिरा दें, खर्चा वे वहन करेंगे। पर निगम की उदासीनता जस की तस है।
हैरिटेज नगर निगम ने 179 जर्जर भवनों की सूची बनाई, नोटिस जारी किए और अब हादसे के बाद चेतावनी बोर्ड लगाने शुरू किए हैं। सवाल यह है कि जब तक जानें न जाएं, तब तक ये बोर्ड किस काम के?
जोन - जर्जर मकान - नोटिस दिए - ध्वस्त किए
हवामहल- 40 - 40 - 0
किशनपोल - 79 - 44 - 3
सिविल लाइन्स- 24 - 10 - 0
आदर्श नगर - 35 - 20 - 0।
बार-बार नोटिस चिपकाए जाते हैं
पड़ोस का मकान पूरी तरह जर्जर है। बार-बार नोटिस चिपकाए जाते हैं, पर मालिक सुनते नहीं, निगम करता नहीं। एक हिस्सा पहले ही गिर चुका है। कुनाल, पंचगली
कार्रवाई अधूरी छोड़ दी
नाटाणियों की हवेली का दरवाजा और छतों से पानी टपक रहा है। कार्रवाई अधूरी छोड़ दी।
विपिन नाटाणी, त्रिपोलिया बाजार
तीन जर्जर मकान हमने ध्वस्त किए और तीन मकान मालिकों ने खुद गिराए। कई मामले निजी संपत्ति और कोर्ट विवाद में उलझे हैं। जबरन लोगों को निकालना संभव नहीं। समझाइश की, लेकिन लोग सामुदायिक केंद्रों में आकर रहना नहीं चाहते।
निधि पटेल, आयुक्त, हैरिटेज नगर निगम