मुख्य विद्युत निरीक्षक तक को याद नहीं कि अंतिम बार कब किसी अस्पताल या मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निरीक्षण हुआ था। यह लापरवाही तब उजागर हुई जब एसएमएस ट्रोमा सेंटर में आग लगने से कई लोगों की मौत हो गई।
राजस्थान में अस्पतालों, बहुमंजिला इमारतों और सार्वजनिक स्थलों पर बिजली सिस्टम की मॉनिटरिंग और सुरक्षा को लेकर गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। नियमों के अनुसार इन जगहों पर नियमित विद्युत निरीक्षण होना चाहिए, लेकिन विद्युत निरीक्षणालय विभाग अब तक कोताही बरतता रहा है। स्थिति यह है कि मुख्य विद्युत निरीक्षक तक को याद नहीं कि अंतिम बार कब किसी अस्पताल या मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निरीक्षण हुआ था। यह लापरवाही तब उजागर हुई जब एसएमएस ट्रोमा सेंटर में आग लगने से कई लोगों की मौत हो गई।
हादसे के बाद अब ऊर्जा विभाग ने आनन-फानन में इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टरों को तलब किया है और उनसे पिछले वर्षों की निरीक्षण रिपोर्ट मांगी। मंगलवार को विभाग के संयुक्त सचिव सौरभ स्वामी ने मुख्य एवं क्षेत्रीय इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टरों की बैठक लेकर जिम्मेदारी तय की। अब पूरे मामले की उच्चस्तरीय समीक्षा होगी।
राजस्थान के सभी सरकारी अस्पतालों में इस सप्ताह बिजली सिस्टम की जांच होगी। विद्युत निरीक्षणालय के सातों जोन के इंस्पेक्टरों को सप्ताह के अंत तक निरीक्षण रिपोर्ट देने को कहा गया है। निरीक्षण में पुराने उपकरणों को बदलने और अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर (ईएलसीबी) लगाने को अनिवार्य किया जाएगा, ताकि शॉर्ट सर्किट और करंट लीकेज की स्थिति में खतरा टाला जा सके। इसके बाद निजी इमारतों और अन्य भवनों का भी निरीक्षण किया जाएगा।
ऊर्जा विभाग ने सभी जिलों से सात दिन में निरीक्षण रिपोर्ट मांगी है। लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं। जानकारों का कहना है कि निरीक्षणालय का काम अब तक सिर्फ फाइलों और अनुमोदन तक सीमित रह गया था।
सभी जोन इंस्पेक्टरों से जानकारी मांगी गई है कि उन्होंने अब तक किन-किन भवनों और संस्थानों का निरीक्षण किया है। सरकारी अस्पतालों में तत्काल निरीक्षण शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। निजी इमारतों की सोसायटी को भी स्व-जांच के निर्देश दिए जा रहे हैं। गौरीशंकर जीनगर, मुख्य इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर, विद्युत निरीक्षणालय विभाग