एसएमएस अस्पताल पर फिर घूस का दाग। ट्रोमा सेंटर प्रभारी न्यूरोसर्जन ने एक लाख रुपए रिश्वत ली। आरोपी डॉक्टर ने खुद की बोली लगाई, तेरी वैल्यू देख फिर मेरी तय कर। मासिक बंधी की भी मांग की। यही ट्रोमा सेंटर छह मौतों से जुड़ा था।
जयपुर: एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में उठी भ्रष्टाचार की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि गुरुवार को प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल एक बार फिर चर्चा में आ गया। अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे डॉ. मनीष अग्रवाल को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गुरुवार शाम सात बजे गोपालपुरा पुलिया के पास वसुंधरा कॉलोनी स्थित उनके निवास से एक लाख रुपए की राशि लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
बता दें कि यह राशि ब्रेन हेमरेज होने पर ब्रेन कॉयल सप्लाई करने वाली फर्म के 12.30 लाख रुपए के बकाया बिल का भुगतान की एवज में मांगी गई थी। आरोपी डॉ. मनीष ने भुगतान के बदले रिश्वत राशि मांगने के लिए फर्म प्रतिनिधि को कहा कि तेरी वेल्यू देख और फिर मेरी, इसके बाद खुद ही रिश्वत की राशि तय कर।
एसीबी ने डॉ. मनीष अग्रवाल और उनके निजी क्लीनिक के सहयोगी जगत को गिरफ्तार कर लिया है। गौरतलब है कि अग्रवाल के पास ट्रोमा सेंटर के उस आइसीयू का भी चार्ज है, जहां पिछले रविवार आग लगी थी।
एएसपी संदीप सारस्वत ने बताया कि एसीबी के सत्यापन के दौरान मंगलवार को फर्म प्रतिनिधि बकाया भुगतान करवाने के लिए डॉ. मनीष अग्रवाल से मिला। तब उन्होंने फर्म और खुद की वैल्यू के हिसाब से रिश्वत देने के लिए कहा। इस पर फर्म प्रतिनिधि ने एक लाख रुपए राशि तय की तो आरोपी ने हां किया। उन्होंने मंथली भी बांधने के लिए कहा।
फर्म प्रतिनिधि डॉ. मनीष के घर गया और उन्होंने पैसे लेकर दराज में रख लिए। मरीज बनकर घुसा एसीबी का सदस्य जब ऊपर पहुंचा तो वे हड़बड़ा गए और क्लीनिक में काम करने वाले जगत को रुपए फेंकने के लिए कहा। जगत ने रुपयों को प्लॉट में फेंक दिया, जिसे एसीबी ने बरामद किए। एसीबी ने मनीष के घर से पांच लाख कैश, प्रॉपर्टी दस्तावेज और लॉकर की चाबी जब्त की है।
फर्म का प्रतिनिधि तीन माह के बिल लेकर डॉ. मनीष के पास गया, तब उन्होंने बिल लेकर फेंक दिए और उसे कहा कि अभी यह बिल पास नहीं होंगे। तब किसी ने फर्म प्रतिनिधि को कहा कि डॉ. मनीष से आप पर्सनल मिलो। इस पर प्रतिनिधि एसीबी के पास पहुंचा और बुधवार को एसीबी ने रिश्वत मांगने का सत्यापन करवाया।
डॉ. मनीष अग्रवाल के पास सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं। कॉलेज के अतिरिक्त प्राचार्य के अलावा न्यूरोसर्जरी विभाागाध्यक्ष, ऑर्गन ट्रांसप्लांट इंचार्ज और मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज परचेज स्टोर का काम भी उसके पास ही है।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों सहित राज्य के करीब-करीब सभी अस्पतालों में डॉक्टर ही प्रशासनिक व्यवस्थाएं संभाल रहे हैं। एसएमएस में तो कई डॉक्टर कई प्रमुख पदों पर जमे हुए हैं। इनमें बिजली, पानी, सीवर और परचेज जैसी जिम्मेदारी भी शामिल हैं।
राजस्थान पत्रिका ने एसएमएस के ट्रोमा सेंटर में आग लगने का मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक पदों पर डॉक्टरों की तैनाती का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है। इसमें बताया गया कि अस्पतालों में प्रशासनिक व्यवस्थाओं के नियंत्रण के लिए सीनियर आइएएस को प्रशासक बनाने सख्त जरूरत है।