Jaipur News: ये टूल्स गूगल के नए एआइ प्लेटफॉर्म जेमिनी 2.5 फ्लेश इमेज से संचालित होते हैं और सेकंड में एक फोटो को आकर्षक 3डी मिनिएचर में बदल देते हैं।
AI Nano Banana Trend: जहां एक ओर एआइ टेक्नोलॉजी ने मनोरंजन के नए आयाम खोले हैं, वहीं दूसरी ओर यह हमारे डेटा की सुरक्षा के लिए नए खतरे भी लाई है। ऐसे में सावधानी ही इस डिजिटल दौर का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। डिजिटल युग में एआइ आधारित गेम और डिजिटल फिगरिन्स का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है।
सोशल मीडिया पर युवा वर्ग खासतौर से नैनो बनाना जैसे 3डी डिजिटल फिगरिन्स बनाने वाले एआइ टूल्स का उपयोग कर रहे हैं। ये टूल्स गूगल के नए एआइ प्लेटफॉर्म जेमिनी 2.5 फ्लेश इमेज से संचालित होते हैं और सेकंड में एक फोटो को आकर्षक 3डी मिनिएचर में बदल देते हैं।
नैनो बनाना जैसे एआइ टूल्स की लोकप्रियता का प्रमुख कारण इनकी सादगी और तेजी। यूजर को केवल एक फोटो और कुछ प्रॉम्प्ट देना होता है, फिर कुछ सेकंड में गूगल के जेमिनी 2.5 जैसे टूल की मदद से एक थ्रीडी मिनिएचर तैयार हो जाता है। इस प्रक्रिया में किसी तकनीकी विशेषज्ञता या खर्च की आवश्यकता नहीं होती।
एआई एप में लॉगिन करते समय अपनी वास्तविक पहचान की जगह गुमनाम अकाउंट का उपयोग करें।
यंगस्टर्स को कोई भी व्यक्तिगत या गोपनीय जानकारी इन प्लेटफॉर्म्स पर साझा करने से बचना चाहिए।
माता-पिता को बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नजर रखनी चाहिए।
मोबाइल फोन के सोशल मीडिया एप्स और गूगल प्ले स्टोर को लॉक करके रखें, जिससे बच्चे बिना अनुमति के कुछ डाउनलोड न कर सकें।
सोशल मीडिया पर हाई-क्वालिटी फोटो शेयर करने से बचें और पूरी तरह से सावधानी बरतें।
भारत की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी सीइआरटी- इन ने एडवाइजरी जारी कर यूजर्स को सतर्क किया है कि सभी एआइ एप भरोसेमंद नहीं हैं। साइबर हमलावर एआइ एप की लोकप्रियता का फायदा उठाकर फर्जी एप बनाकर किया जा सकता है। अगर कोई अनजाने में इन्हें डाउनलोड करता है तो उनके फोन में मालवेयर इंस्टॉल हो सकता है।
नैनो बनाना जैसे एआइ गेम इंस्टाग्राम, फेसबुक और एक्स पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। युवा अपनी और परिवार की डिजिटल इमेज बनाकर सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं, जो आकर्षक लगती हैं। लेकिन ये एआइ गेम्स यूजर्स का पर्सनल डाटा इकट्ठा कर सकते हैं, जो गलत हाथों में जाने का खतरा बढ़ा देते हैं।
-गजेंद्र शर्मा, साइबर एक्सपर्ट
जब कोई यूजर अपनी फोटो को 3डी डिजिटल फिगरिन में बदलकर ऑनलाइन शेयर करता है, तो उसकी गोपनीयता खतरे में पड़ जाती है। जिसे फेक न्यूज या मिसइन्फॉर्मेशन फैलाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।