Rajasthan News: युवा नेता नरेश मीणा ने शुक्रवार को करीब 15 दिन बाद पिपलोदी के बच्चों के हाथ से पानी पीकर अपने अनशन को समाप्त कर दिया है।
Rajasthan News: युवा नेता नरेश मीणा ने शुक्रवार को करीब 15 दिन बाद पिपलोदी के बच्चों के हाथ से पानी पीकर अपने अनशन को समाप्त कर दिया है। नरेश मीणा ने झालावाड़ के पीपलोदी स्कूल हादसे में मारे गए बच्चों के परिजनों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर अनशन शुरू किया था। आज नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल से शहीद स्मारक पहुंचे, जहां उन्होंने पीपलोदी के बच्चों के हाथों पानी पीकर अपना अनशन तोड़ा।
बताते चलें कि इस बार नरेश मीणा के अनशन को व्यापक जनसमर्थन भी मिला है। बीती रात उनके समर्थकों ने जयपुर की सड़कों पर मशाल जुलूस निकाला, जिसमें सर्व समाज के लोग शामिल हुए। यह जुलूस त्रिवेणी नगर चौराहे से शुरू होकर गुर्जर की थड़ी तक गया। जुलूस में नरेश मीणा के बेटे अनिरुद्ध मीणा, पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, कांग्रेस विधायक संजय जाटव और कई अन्य लोग शामिल हुए। इस जुलूस के जरिए समर्थकों ने पीपलोदी स्कूल हादसे के पीड़ित परिवारों के लिए सरकार से न्याय की मांग की।
नरेश मीणा ने अनशन तोड़ने के बाद कहा कि मैं राजस्थान की वीरभूमि के लोगों का आभार व्यक्त करता हूं। जब लोगों ने मुझसे अनशन तोड़ने का आग्रह किया, तो मैंने स्पष्ट कहा था कि खाली हाथ अनशन नहीं तोड़ूंगा। मेरा उद्देश्य पीड़ित परिवारों के प्रति विश्वास जगाना था कि हम उनके साथ हैं।
उन्होंने बताया कि 24 घंटे के भीतर झालावाड़ स्कूल हादसे के पीड़ित परिवारों के लिए 80 से 90 लाख रुपये की सहायता राशि जुटाई जा चुकी है। यह राशि पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने में मदद करेगी।
नरेश मीणा ने अनशन तोड़ने के पीछे की वजह का जिक्र करते हुए कहा कि भरतसिंह कुंदनपुर भी एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती थे। जब मैं उनसे मिलने गया, तो वे भावुक हो गए और बोले कि राजस्थान को तुम्हारी जरूरत है। उनकी बात मानते हुए मैंने जूस पीकर अनशन तोड़ा। उन्होंने राजस्थान की जनता का आभार जताया और कहा कि जो जनता मुझ पर भरोसा करती है, मैं उसका विश्वास कभी टूटने नहीं दूंगा।
नरेश मीणा ने समरावता के मुद्दों पर भी अपनी लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि झालावाड़ के पीड़ितों के लिए सरकार ने 15 दिन के अनशन के बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया। फिर भी मैं खाली हाथ नहीं जा रहा हूं। मैं दोबारा सरकार के दरवाजे पर आऊंगा और भगत सिंह की सेना के साथ समरावता के लोगों को न्याय दिलाने के लिए लड़ूंगा।, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की उदासीनता के बावजूद वह पीड़ितों के लिए आवाज उठाते रहेंगे और भगत सिंह बनकर उनके हक की लड़ाई लड़ेंगे।