जयपुर

Rajasthan: स्कूली पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव, अब भगवान राम-कृष्ण के आदर्श और शिवाजी-तेजाजी की वीरता पढ़ेंगे नौनिहाल

National Education Policy-2020: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत राजस्थान के स्कूली पाठ्यक्रम में काफी बदलाव किए गए हैं।

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Aug 24, 2025
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर। फोटो: पत्रिका

जयपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत राजस्थान के स्कूली पाठ्यक्रम में काफी बदलाव किए गए हैं। राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (आरएससीईआरटी) उदयपुर ने प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षा को और अधिक समावेशी, समग्र व कौशल-आधारित बनाया है।

बच्चों को सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित कराया गया है। इसके तहत प्राथमिक स्तर की नई हिन्दी पाठ्यपुस्तकों में भगवान राम, भगवान कृष्ण, वीर तेजाजी और छत्रपति शिवाजी जैसे आदर्श और प्रेरणादायक व्यक्तित्वों की जीवनी शामिल की है। यह पहल बच्चों में राष्ट्रीयता, वीरता और नैतिक मूल्यों की समझ को बढ़ावा देने के लिए की गई है। विद्यार्थियों को उनकी जड़ों से जोड़ने के लिए यह नवाचार किया गया है।

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समावेशी और कौशल-आधारित शिक्षा की दिशा में कदम

प्राथमिकता शिक्षा को केवल पाठ्यपुस्तक आधारित जानकारी तक सीमित न रखते हुए, उसे व्यापक, व्यावहारिक व जीवनोपयोगी बनाना है। राजस्थान के आरएससीईआरटी की ओर से इस नीति को लागू करते हुए पाठ्यक्रम में ऐसे विषय जोड़े गए हैं, जो बच्चों के नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में सहायक हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि भगवान राम और भगवान कृष्ण की कथाएं, जो सदियों से भारतीय संस्कृति में आदर्श के रूप में स्थापित हैं, बच्चों को सदाचार, साहस और दयालुता की शिक्षा देंगी। इसीप्रकार वीर तेजाजी, जो राजस्थान के लोक देवता हैं, और छत्रपति शिवाजी, जिनकी वीरता और प्रबंधन कौशल विश्व प्रसिद्ध हैं, इनका समावेश बच्चों में वीरता और नेतृत्व के गुणों को जागृत करेगा।

ये अंश हटाए

वर्ष 2014 से पढ़ाई जा रही पुरानी पुस्तकों की तुलना में यह भी सामने आया कि कक्षा 5 की हिन्दी पुस्तक से सिस्टर निवेदिता की जीवनी और कबीर-रहीम के दोहे हटा दिए गए हैं, जबकि कक्षा 4 की हिन्दी पुस्तक से पन्नाधाय और कालीबाई भील की जीवनी हटा दी गई है। पुरानी पुस्तकों में निर्वाचन प्रक्रिया और गोडावण पर भी पाठ शामिल था, लेकिन अब यह नई पुस्तकों का हिस्सा नहीं है।

इनका कहना

पाठ्यक्रम मेें समग्र व कौशल-आधारित बनाया गया है। बच्चों को सांस्कृतिक विरासत से भी जोड़ा है। स्थानीय महापुरुषों को भी शामिल किया गया है।
-श्वेता फगेडिया, निदेशक, आरएससीईआरटी

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