जयपुर

Pravasi Rajasthani Divas : विदेश में बसे राजस्थानी बदल सकता हैं प्रदेश का भाग्य, बने ब्रांड एम्बेसडर

Pravasi Rajasthani Divas : राजस्थान में प्रवासी राजस्थानी दिवस 10 दिसंबर को होगा। तैयारियां पूरी हो गईं हैं। माना जा रहा है कि विदेश में बसे राजस्थानी बदल सकता है राजस्थान का भाग्य। प्रवासी डॉ. पूर्णिमा वोरिया व राणा हरगोविंद सिंह ने क्या कहा, जानिए।

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प्रवासी राजस्थानी दिवस का ग्राफिक्स। फोटो पत्रिका

Pravasi Rajasthani Divas : विदेश में बसे प्रवासी राजस्थानी अपनी मिट्टी से भावनात्मक नाता बनाए रखते हुए राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे न सिर्फ संस्कृति को दुनिया तक पहुंचा रहे हैं, बल्कि निवेश, कौशल और वैश्विक साझेदारियों के नए अवसर भी जोड़ रहे हैं। उनका मानना है कि प्रवासी समुदाय में अनुभव और क्षमता की बड़ी श€क्ति है, जिसे सही दिशा मिले तो राजस्थान की प्रगति को नई गति मिल सकती है।

प्रवासी राजस्थानी दिवस सम्मेलन इसी विश्वास का मंच है, जहां नीति, निवेश और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी और सरल बनाने की दिशा में उम्मीदें जग रही हैं। उनका कहना है कि पारदर्शी और सरल प्रक्रिया मिले तो वे स्वयं निवेश करने के साथ अपने वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से बड़े निवेशकों और व्यावसायिक घरानों को भी राजस्थान से जोड़ पाएंगे। इसके लिए सरकार को एक स्पष्ट रोडमैप देना होगा।

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नेशनल यूएस-इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स की सीईओ डॉ. पूर्णिमा वोरिया। फोटो पत्रिका

रिश्तों और भरोसे से बनेगी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी - डॉ. पूर्णिमा वोरिया

अमेरिका में बुश और ओबामा प्रशासन के साथ काम कर चुकीं और नेशनल यूएस-इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स की सीईओ डॉ. पूर्णिमा वोरिया 10 दिसंबर को प्रवासी राजस्थानी दिवस सम्मेलन में राजस्थान के लिए वैश्विक निवेश साझेदारी का खाका पेश करेंगी। राजस्थान मूल की इंडो-अमरीकन उद्योगपति डॉ. वोरिया का कहना है एनयूआइसीसी के 9,200 सदस्य हैं और कई निवेशक और विशेषज्ञ जयपुर आएंगे।

राजस्थान फाउंडेशन के साथ मिलकर वे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, तकनीकी क्षेत्रों में विदेशी निवेश आकर्षित करने पर काम कर रही हैं। उनका कहना है कि बड़ी साझेदारियां रिश्तों और भरोसे से बनती हैं और यही नेटवर्क अब राजस्थान के काम आएगा। वे ‘रूट्स-टूराजस्थान’, डिजिटल क्लासेज और यूथ एम्बेसडर जैसे कार्यक्रम शुरू कर रही हैं।

जर्मनी के म्यूनिख में बसे राणा हरगोविंद सिंह। फोटो पत्रिका

कौशल, भाषा और दृष्टिकोण से ही विदेश में सफलता - राणा हरगोविंद सिंह

जर्मनी के म्यूनिख में बसे राणा हरगोविंद सिंह का मानना है कि यह सम्मेलन प्रवासियों के लिए नीतिगत बदलाव का महत्वपूर्ण मंच बन सकता है। विदेश में रहने वाले लोग अक्सर निवेश, नीतियों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं से दूर हो जाते हैं। ऐसे में यह मंच उन्हें स्पष्ट निवेश मार्गदर्शन, नीति की सरल व्याख्या, कानूनी सहायता और प्रशासनिक सहयोग प्रदान कर सकता है।

राणा कहते हैं कि विदेश में सफलता केवल डिग्री पर नहीं, बल्कि कौशल, भाषा ज्ञान और दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। युवाओं को अंग्रेजी या जर्मन जैसी भाषाओं में दक्षता हासिल करनी चाहिए।

राजस्थान शिक्षा और स्किल डवलपमेंट के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षकों और निवेशकों को आकर्षित कर सकता है। डिफेंस कॉरिडोर, टे€नोलॉजी, पर्यटन, विरासत और संस्कृति में भी अपार संभावनाएं हैं।

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Updated on:
10 Dec 2025 12:20 pm
Published on:
08 Dec 2025 10:34 am
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