Torture house exposed in Jaipur: जयपुर के खोराबीसल थाना क्षेत्र स्थित ‘मेरी पहल’ नामक एनजीओ में सेवा और पुनर्वास के नाम पर चल रहे कथित सेंटर से रात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जयपुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में संस्था परिसर से बंधक बनाकर रखे गए 18 महिला-पुरुषों को मुक्त कराया गया।
Torture house exposed in Jaipur: जयपुर। खोराबीसल थाना क्षेत्र स्थित ‘मेरी पहल’ नामक एनजीओ में सेवा और पुनर्वास के नाम पर चल रहे कथित मानवाधिकार उल्लंघन का बड़ा मामला सामने आया है। बुधवार देर रात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जयपुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में संस्था परिसर से बंधक बनाकर रखे गए 18 महिला-पुरुषों को मुक्त कराया गया। इनमें 11 महिलाएं और 7 पुरुष शामिल थे।
दो दर्जन पुलिसकर्मियों की टीम जब झोटवाड़ा स्थित एनजीओ परिसर में पहुंची तो वहां के हालात देखकर दंग रह गई। जांच दल ने पाया कि मुख्य द्वार और पीछे की ओर बड़ी संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। इन कैमरों के जरिये बंधक बनाकर रखे गए लोगों पर नजर रखी जाती थी।
पीड़ितों ने बताया कि उनसे जबरन मजदूरी करवाई जाती थी, लेकिन इसके बदले कोई मेहनताना नहीं दिया जाता था। कई बार काम से इनकार करने या सवाल उठाने पर भोजन तक नहीं दिया जाता था। महिलाओं के विरोध करने पर उन्हें सजा के तौर पर भूखा रखा जाता था। इस संबंध में जांच एजेंसियां साक्ष्य जुटा रही हैं।
रेस्क्यू अभियान के दौरान खुलासा हुआ कि उत्तर प्रदेश के दिलीप को 35 माह से बंधक बना रखा था। वहीं धौलपुर के राजेश, गंगापुर सिटी के इंद्र, यूपी के महाराजगंज के रंजन और शंकरलाल तथा बिहार के बाबूलाल को बंधक बना रखा था।
बंधकों में दो युवतियां भी थीं, जिन्होंने लव मैरिज की थी। इनमें एक डी-फार्मा और दूसरी बी-फार्मा शिक्षित है। परिजन की शिकायत के बाद पुलिस ने उन्हें दस्तयाब कर नारी निकेतन भेजने के बजाय ‘मेरी पहल’ संस्था में रखा। जब संस्था के संचालक से पूछा कि ये युवतियां न तो भिक्षुक हैं और न ही उन्हें किसी स्किल ट्रेनिंग की आवश्यकता है तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका।
जांच में सामने आया कि कई पीड़ितों को रेलवे स्टेशन और शहर के अलग-अलग इलाकों से उठाकर यहां लाया गया था। भरतपुर निवासी बालकृष्ण को जनवरी 2023 में जयपुर जंक्शन से उठाया गया था। तब से वह संस्था परिसर में बंधक था और सभी अन्य लोगों के लिए खाना बनाता था। उसे न तो कोई मेहनताना दिया गया और न ही उसका नाम किसी आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज था।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने संस्था के रजिस्टर जब्त कर जांच की। इसमें कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। रजिस्टर में दर्ज कुछ नाम मौके पर मौजूद नहीं थे। साथ ही जो मौजूद थे उनमें से कुछेक के नाम रजिस्टर में नहीं थे। संस्था स्वयं को भिक्षुक पुनर्वास केंद्र बताती रही, जबकि वास्तविकता में वहां पुनर्वास या कौशल विकास कार्य नहीं किया जा रहा था।