राजस्थान के डीम्ड मेडिकल विवि ने वीआरएस के बाद फैकल्टी जिम्मेदारी सौंपी है। निजी विवि में भी एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्तियां शुरू हो गई हैं। एनएमसी की गाइडलाइन पर मेडिकल टीचर्स और सेवारत चिकित्सकों में विवाद तेज हो गया है।
जयपुर: नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की संशोधित गाइडलाइन में सेवारत चिकित्सकों को मेडिकल कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर फैकल्टी बनाने की छूट का लाभ उठाते हुए राज्य के डीम्ड मेडिकल विश्वविद्यालयों ने नियुक्तियां शुरू कर दी हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि सवाई मान सिंह अस्पताल में कार्यरत कुछ सेवारत चिकित्सकों ने यहां से वीआरएस लेकर इन विश्वविद्यालयों में फैकल्टी पद पर जॉइन कर लिया है।
निजी विवि में यह नियुक्तियां ऐसे समय हो रही हैं, जब सरकारी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों और प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों के बीच एनएमसी के इस निर्णय पर विवाद चल रहा है। आशंका है कि यदि राज्य सरकार ने विवाद का समाधान जल्दी नहीं निकाला तो बड़ी संख्या में सेवारत चिकित्सक फैकल्टी बनने के लिए निजी विश्वविद्यालयों का रुख कर सकते हैं।
सवाई मान सिंह अस्पताल से वर्ष 2023 में वीआरएस लेने के बाद एक सर्जरी विशेषज्ञ ने निजी विवि में जॉइन किया। उन्होंने कहा कि सेवारत चिकित्सक पूरी तरह फैकल्टी बनने के योग्य हैं। वहीं, अस्पताल के एक अन्य सर्जरी विशेषज्ञ ने तीन महीने पहले वीआरएस के लिए आवेदन किया था। वीआरएस स्वीकृति के बाद गुरुवार को उनका कार्यकाल समाप्त हुआ।
एसएमएस अस्पताल में विदाई समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि 40 वर्षों तक सेवाएं देने के बाद अब एनएमसी की गाइडलाइन के तहत निजी विवि में फैकल्टी के रूप में कार्यभार संभाल रहा हूं।
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) से एमबीबीएस, डेंटल, फॉर्मेसी, नर्सिंग और फिजियोथैरेपी के 700 से अधिक कॉलेज संबद्ध हैं। विश्वविद्यालय ने हाल ही में फैकल्टी भर्ती प्रक्रिया पर नियंत्रण शुरू किया है।
यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार, भर्ती समितियां गठित की जाती हैं, जिनमें विवि के दो विषय विशेषज्ञ शामिल होते हैं। लेकिन इसमें राज्य के डीम्ड विवि शामिल नहीं हैं। डीम्ड विवि सभी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र रहते हैं। ऐसे में सरकारी स्तर पर देरी होने से एनएमसी की नई गाइडलाइन का बड़ा लाभ इन्हीं विवि को मिलने की संभावना है।