जयपुर

Rajasthan By Election 2024: कांग्रेस में इन 4 सीटों पर ‘परिवार’ का दबदबा, बाकी 3 सीटों पर किसकी बोलेगी तूती?

Rajasthan By Election 2024: चर्चा है कि कांग्रेस उपचुनावों में चार सीटों पर नेताओं के परिवार से ही किसी को टिकट दे सकती है। बाकी तीन सीटों पर पार्टी नए उम्मीदवार की तलाश में है।

2 min read
Oct 16, 2024

Rajasthan By Election 2024: राजस्थान में उपचुनाव की घोषणा होते ही बीजेपी और कांग्रेस में हलचल तेज हो गई है। दोनों दलों में उपचुनावों के लिए तैयारी अंतिम चरण में है। वहीं, दिल्ली में पार्टी स्तर पर प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने पर मंथन चल रहा है। वहीं, सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस में चार सीटों पर तो नेताओं के परिवार से ही किसी को टिकट दिया जा सकता है। बाकी तीन सीटों पर पार्टी किसी नए उम्मीदवार की तलाश में है।

दरअसल, रामगढ़ (अलवर), दौसा, झुंझुनूं और देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी और सलूंबर सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है। इनमें से भाजपा के पास केवल 1 सीट थी, वहीं कांग्रेस के पास 4 सीटें थी। इसके अलावा एक सीट बाप और एक सीट RLP के पास थी।

ये हैं परिवारवाद वाली 4 सीट

सूत्रों के मुताबिक 7 में से दो सीटों पर टिकट परिवार के पास जाना लगभग फाइनल है। झुंझुनूं में बृजेंद्र ओला के परिवार को टिकट और रामगढ़ (अलवर) में जुबेर खान के बेटे को मैदान में उतारने की पूरी तैयारी है। वहीं, परिवारवाद वाली दौसा सीट पर मुरारी लाल मीणा ने अपने परिजनों को चुनाव लड़ाने से मना कर दिया है। इसलिए पार्टी यहां से किसी नए चेहरे पर दांव खेल सकती है। इसके अलावा देवली-उनियारा में हरीश मीणा के परिवार में से ही किसी पर दांव खेला जा सकता है। चर्चा ये भी है कि पार्टी यहां किसी बड़े गुर्जर नेता को भी मैदान में उतार सकती है।

अब बड़ा सवाल ये है कि क्या उपचुनाव वाली इन 7 सीटों में से 4 पर कांग्रेस में परिवारवाद हावी रहेगा? इसका जवाब तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा, लेकिन हम ये जानेंगे कि बाकी की तीन सीटों पर क्या समीकरण हैं।

इन 3 सीटों पर ये हैं मजबूत दावेदार

खींवसर- इस सीट पर कांग्रेस का गठबंधन हनुमान बेनीवाल की पार्टी से नहीं होता है तो यहां त्रिकोणीय मुकाबला तय है। फिर यहां कांग्रेस पूर्व मंत्री और नागौर विधायक हरेंद्र मिर्धा के बेटे रघुवेन्द्र मिर्धा, सचिव मनीष मिर्धा और पूर्व जिला प्रमुख बिंदू चौधरी में से एक पर दांव खेल सकती है। लेकिन यहां भाजपा और कांग्रेस के लिए हनुमान बेनीवाल की पार्टी को हराना मुश्किल रहेगा।

सलूंबर- अभी तक के समीकरणों के मुताबिक इस सीट पर कांग्रेस के पास ज्यादा विकल्प नहीं है। यहां कांग्रेस का संगठन भी कमजोर स्थिति में है, ऐसे में कांग्रेस के लिए यह सीट जीत पाना मुश्किल लग रहा है। इसके अलावा यहां विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के बाद बीजेपी के लिए सहानुभूति फेक्टर भी काम करेगा।

चौरासी- पिछले दो चुनावों के आंकड़े और बाप पार्टी का बढ़ता जनाधार भाजपा-कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहा है। यह सीट राजकुमार रोत की गढ़ मानी जाती है। इसलिए यहां दोनों पार्टियों के लिए संभावनाएं कम नजर आ रही है।

Published on:
16 Oct 2024 04:17 pm
Also Read
View All

अगली खबर