Rajasthan By Election Result 2024: राजस्थान विधानसभा उपचुनाव की सात सीटों पर आए नतीजों में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है।
Rajasthan By Election Result 2024: राजस्थान विधानसभा उपचुनाव की सात सीटों पर आए परिणामों में बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया है। इसके उलट कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले कई उपचुनावों में सबसे खराब रहा है। बीजेपी की इस जीत का श्रेय सीएम भजनलाल और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ को दिया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस में 6 सीटों पर हार की जिम्मेदारी किसकी होगी अभी तक ये तो तय नहीं है लेकिन पार्टी में अन्दरखाने घमासान मचा हुआ।
बता दें, राजस्थान उपचुनाव की सभी सातों सीटों का परिणाम आ गया है, इनमें से 5 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है, कांग्रेस को एक सीट पर और बाप पार्टी को एक सीट पर जीत मिली है। बीजेपी ने झुंझुनूं, खींवसर, देवली-उनियारा, सलूंबर, रामगढ़ में जीत का परचम लहराया है। वहीं, कांग्रेस को दौसा और बाप को चौरासी में जीत से संतोष करना पड़ा है।
बता दें इन उपचुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है, क्योंकि 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनावों के समय इन सात सीटों में से कांग्रेस के पास चार, एक बीजेपी, एक बाप और एक आरएलपी के पास थी। अब परिणाम के बाद कांग्रेस केवल अपनी दौसा सीट बचा पाई है। कांग्रेस को रामगढ़, देवली-उनियारा और झुंझुनूं में हार का सामना करना पड़ा है। हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी को भी अपनी एक सीट गंवानी पड़ी है।
पहला- कांग्रेस के बड़े नेताओं में तालमेल का अभाव नजर आया। अशोक गहलोत और सचिन पायलट कहीं भी पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रचार करते एकसाथ नजर नहीं आए। इसका खामियाजा उनके समर्थकों को भुगतना पड़ा। ये सभी नेता अलग-अलग ही दिखे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा इन उपचुनावों में प्रचार करते नजर आए। लेकिन उन्हें सचिन पायलट और अशोक गहलोत से चुनाव मैनेजमेंट में साथ नहीं मिला।
दूसरा- टिकटों के वितरण में भी कांग्रेस ने उपचुनाव को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। जनभावनाओं की अपेक्षा परिवारवाद और जातिवाद पर फोकस करने का आरोप लगा। इससे कई नेताओं ने निर्दलीय ताल ठोक दी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण झुंझुनूं और देवली-उनियारा सीट है, जहां निर्दलियों ने खेल बिगाड़ दिया।
तीसरा- 2023 के विधानसभा चुनाव की भांति इस बार छोटे दलों से गठबंधन नहीं करने से भी नुकसान उठाना पड़ा। क्योंकि लोकसभा में तीन सीटों पर गठबंधन हुआ था, और तीनों सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। लेकिन इस बार फिर से गठबंधन नहीं करना नुकसान दायक ही रहा।
चौथा- हार का चौथा कारण है कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी। कांग्रेस पार्टी का गुटबाजी से पुराना रिश्ता रहा है। इसके कारण कांग्रेस को कई बार नुकसान उठाना पड़ा है। इससे पार्टी के लिए एक लक्ष्य पर काम करना मुश्किल हो गया। जिससे पार्टी और प्रत्याशी दोनों लोग ही जनमत साधने में नाकाम रहे।
पांचवा- पांचवा कारण है कांग्रेस का मुद्दों पर कमजोर प्रदर्शन। राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भजनलाल सरकार को घेरने में नाकाम रही है। ऊपर से टिकट न मिलने के कारण कई नेता विरोध पर उतर आए, जिससे पार्टी के प्रदर्शन पर विपरीत प्रभाव पड़ा।