जयपुर

राजस्थान में बदलेगा यूडी टैक्स सिस्टम, कलेक्शन के लिए ‘सूरत मॉडल’ की अफसर करेंगे स्टडी

Rajasthan : राजस्थान में नगरीय विकास कर (यूडी टैक्स) सिस्टम में बड़े बदलाव की तैयारी है। सरकार अब टैक्स कलेक्शन के 'सूरत मॉडल' पर स्टडी शुरू कर रही है। आठ अफसरों की टीम अगले सप्ताह सूरत जाएगी। अभी करीब 17 लाख संपत्तियां टैक्स के दायरे से बाहर हैं।

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ग्राफिक्स फोटो पत्रिका

Rajasthan : राजस्थान में नगरीय विकास कर (यूडी टैक्स) सिस्टम में बड़े बदलाव की तैयारी है। करीब डेढ़ दशक पुराने सर्वे और बिखरे टैक्स सिस्टम के कारण प्रदेश के नगरीय निकाय राजस्व संकट से जूझ रहे हैं। बहरहाल 3.76 लाख संपत्तियां टैक्स के दायरे में हैं, जबकि करीब 17 लाख बाहर हैं।

न जीआइएस आधारित सर्वे, न एकीकृत सॉफ्टवेयर सिस्टम। निजी कंपनियों को काम सौंपा, पर उनसे भी पूरी टैक्स वसूली नहीं हो पाई। नगरीय निकाय लगातार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। वे समय पर जनता को मूलभूत सुविधा तक नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे हालात के बीच सरकार अब टैक्स कलेक्शन के सूरत मॉडल पर स्टडी शुरू कर रही है। आठ अफसरों की टीम अगले सप्ताह सूरत जाएगी। इसके बाद महाराष्ट्र जा सकते हैं। स्टडी में सूरत और राजस्थान मॉडल के फायदे और कमियां की तुलनात्मक स्थिति बताएंगे। साथ ही टैक्स सिस्टम सुधार की संभावना का विस्तृत प्लान के साथ-साथ स्थायी राजस्व सिस्टम के लिए नीतिगत सुझाव भी देंगे। संभावना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर यूडी टैक्स के दायरे में प्रदेश की ज्यादा प्रॉपर्टी दायरे में आ जाएंगी।

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अभी ये प्रॉपर्टी टैक्स के दायरे में…

300 वर्गगज से अधिक क्षेत्रफल वाले आवासीय भू-खंड
100 वर्गगज से अधिक क्षेत्रफल वाले व्यावसायिक भू-खंड
इससे छोटे भू-खंडधारी टैक्स स्लैब दायरे से बाहर हैं

नगरीय विकास कर एकत्रित करने पर जोर

केन्द्र सरकार के नए नियमों के तहत 15वें फाइनेंस कमीशन के तहत निकायों को मिलने वाली राशि को यूडी टैक्स से जोड़ दिया है। निर्धारित से कम यूडी टैक्स लेने वाले निकायों को केन्द्र सरकार राशि नहीं देगा। अच्छा काम करने वाले निकायों को इंसेंटिव देने का भी प्रावधान किया गया है।

करीब डेढ़ वर्ष पहले आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के तत्कालीन सचिव जयपुर आए थे। उन्होंने भी नगरीय निकायों को नगरीय विकास कर एकत्रित करने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत जताई थी।

इस तरह जानेंगे टैक्स का सूरत मॉडल

1- सूरत नगर निगम की जीआइएस आधारित सर्वे और टैक्स निर्धारण प्रणाली का अध्ययन।
2- सॉफ्टवेयर, डेटा बैंक और वार्षिक टैक्स संग्रहण प्रक्रिया की समीक्षा।
3- टैक्स वसूली में पारदर्शिता, दक्षता और जनसहभागिता बढ़ाने के उपायों का अध्ययन करेंगे।
4- 100 प्रतिशत टैक्स नेटवर्किंग की रणनीति समझेंगे।
5- इसके बाद महाराष्ट्र का तुलनात्मक अध्ययन करेंगे, जहां टैक्स कवरेज 100 प्रतिशत है।

जिनसे टैक्स ले रहे, उन्हें क्या दे रहे सुविधा?

1- निकाय जिन लोगों से टैक्स ले रहे हैं, क्या उन तक पूरी सुविधाएं पहुंचाई जा रही है।
2- ऐसे कई लोग हैं जो निकायों की मनमानी से परेशान हैं। ऐसे निकायों को सुधारने के लिए मैकेनिज्म क्या होगा।
3- अभी प्रदेश के 312 नगरीय निकायों से सालाना 400 से 500 करोड़ रुपए यूडी टैक्स आ रहा है, जबकि सरकार सुविधाओं के आधार पर टैक्स कलेक्शन का आंकड़ा 1200 से 1500 करोड़ रुपए के बीच लाना चाहती है।

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Updated on:
02 Nov 2025 08:20 am
Published on:
02 Nov 2025 08:19 am
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