जयपुर

राजस्थान में सिलिकोसिस बीमारी के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला, इन जिलों में डॉक्टरों के खिलाफ होगी जांच

राजस्थान में सिलिकोसिस बीमारी के नाम पर करोड़ों रुपए का गबन करने का मामला सामने आया है। कई जिलों के 91 चिकित्सकों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी गई है।

2 min read
Aug 29, 2025
एसीबी ने जांच की अनुमति मांगी (फोटो- पत्रिका)

जयपुर: राजस्थान के कई जिलों में सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित मरीज को दिए जाने वाली सरकारी राशि में लाखों-करोड़ों रुपए का घोटाला करने की शिकायतें भ्रष्टाचार निरोधक Žब्यूरो (एसीबी) को मिली है। Žब्यूरो ने पांच जिलों के 91 चिकित्सकों के खिलाफ घोटाला की जांच करने की अनुमति स्वास्थ्य विभाग से मांगी है।


अनुमति मिलने के बाद एसीबी मामले में अनुसंधान कर सकेगी। एसीबी की एडीजी स्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि Žब्यूरो को बड़े स्तर पर सिलिकोसिस बीमारी में दी जाने वाली सहायता राशि में घोटाला करने की शिकायतें मिल रही थीं।

ये भी पढ़ें

Rajasthan: हाथी सवारी की दर एक हजार रुपए घटाने पर रोक, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब


शुरुआत में मिली शिकायतों में 6 एफआईआर भी दर्ज की हैं। अब सभी शिकायतों को स्वास्थ्य विभाग को भेजकर उनमें जांच करने की अनुमति मांगी है।


पांच जिलों की मिली शिकायतें


एसीबी को पाली, जोधपुर, जालौर, सिरोही और करौली जिलों की शिकायतें मिली हैं। इनमें स्वस्थ व्यक्तियों को सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित बताकर सरकारी सहायता राशि ले ली गई। एक बीमार व्यक्ति की मेडिकल जांच रिपोर्ट को चार पांच स्वस्थ व्यक्तियों की रिपोर्ट बनाकर राशि उठाई गई।


लाखों रुपए की दी जाती है सहायता


सरकार की ओर से सिलिकोसिस पीड़ित मरीज को करीब तीन लाख रुपए सहायता राशि दी जाती है। जबकि मरीज की मृत्यु पर उसके परिजन को अलग से सहायता राशि दी जाती है।


सिलिकोसिस बीमारी क्या है


-सिलिकोसिस एक फेफड़ों की गंभीर बीमारी है, जो सिलिका धूल के लंबे समय तक सांस के रास्ते से शरीर में पहुंचने से होती है।

-इसे पेशेवर फेफड़ों की बीमारी भी कहा जाता है।

-क्योंकि यह अक्सर उन लोगों में पाई जाती है, जो खनन, निर्माण, पत्थर की कटाई, ईंट-भट्ठा, सिरेमिक, सैंड ब्लास्टिंग या कंक्रीट में काम करते हैं।


सिलिकोसिस कैसे होती है


-सिलिका धूल का सांस के माध्यम से प्रवेश।
-जब कोई व्यक्ति सिलिका युक्त धूल (Quartz dust) सांस के जरिए फेफड़ों में लेता है, तो यह धूल फेफड़ों की अल्वेओली (छोटी वायु थैलियां) में जमा हो जाती है।


शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया


-शरीर इसे हटाने की कोशिश करता है।
-सफेद रक्त कोशिकाएं इसे निगलती हैं, लेकिन सिलिका कोशिकाओं के लिए जहरीली होती है।
-इससे फेफड़ों में सूजन और घाव शुरू हो जाता है।


फेफड़ों का कठोर होना


-समय के साथ, फेफड़े की टिश्यू कठोर हो जाती है और ऑक्सीजन का आदान-प्रदान कठिन हो जाता है। इसका परिणाम होता है

-सांस लेने में कठिनाई और खांसी।


सिलिकोसिस के लक्षण क्या हैं

-लगातार खांसी
-सांस लेने में कठिनाई, विशेषकर मेहनत करने पर
-थकान और वजन घटना
-गंभीर मामलों में फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी

ये भी पढ़ें

NARI रिपोर्ट 2025: जयपुर में अनसेफ हैं महिलाएं, पॉक्सो केस 69% बढ़े, महिलाओं पर अत्याचार के 2110 मामले दर्ज

Updated on:
29 Aug 2025 09:42 am
Published on:
29 Aug 2025 09:40 am
Also Read
View All

अगली खबर