Rajasthan Electricity Update : राजस्थान में उद्योगों के लिए बिजली में स्थाई शुल्क और सरचार्ज का विरोध तेज होता जा रहा है। निवेशकों का डगमगाया भरोसा। प्रवासी सम्मेलन से पहले लगा बड़ा झटका। उद्यमी बेहद परेशान और सरकार से पुनर्विचार की मांग की है।
Rajasthan Electricity Update : राजस्थान में उद्योगों के लिए बिजली में स्थाई शुल्क और सरचार्ज का विरोध तेज होता जा रहा है। डिस्कॉम के नए आदेशों के अनुसार अब 300 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने वाले उद्योगों पर स्थायी शुल्क 450 रुपए से बढ़ाकर 800 रुपए कर दिया गया है, साथ ही एक रुपए प्रति यूनिट का रेगुलेटरी सरचार्ज भी जोड़ा गया है। वहीं लोड फैटर में मिलने वाली एक रुपए प्रति यूनिट की राहत भी समाप्त कर दी गई है।
सरकार ने भले ही बेसिक चार्ज में 65 पैसे प्रति यूनिट की कटौती की हो, पर कुल मिलाकर बिजली की लागत करीब ढाई रुपए प्रति यूनिट बढ़ गई है। राजस्थान चैंबर के अध्यक्ष डॉ. केएल जैन का कहना है कि सरकार ने राजस्थान को 2030 तक 350 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है।
उद्योगों की इस आवश्यकता के विपरीत सरकारी विद्युत निगमों की ओर से उद्योगों के लिए बिजली की दरों में बदलाव से प्रदेश के उद्यमी बेहद परेशान हैं। फोर्टी अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के उद्योगों के लिए बिजली की दरों में किसी भी मद में वृद्धि उचित नहीं है। हमारे प्रदेश में औद्योगिक जमीन पहले से ही महंगी है, राजस्थान देश में सबसे ज्यादा महंगी बिजली की दरों वाले राज्य में आता है।
एक ओर ट्रंप के टैरिफ के बाद प्रदेश के मैन्युफैचर्स और निर्यातक चुनौती का सामना कर रहे हैं और दूसरी ओर सरकार देश-विदेश के निवेशकों को राजस्थान में निवेश के लिए आमंत्रित कर रही है। दोनों ही परिस्थितियों में उद्योगों के लिए बिजली की दरों में वृद्धि घातक है, सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
पीएचडी चैम्बर के अध्यक्ष दिग्विजय ढाबरिया का कहना है कि स्टील, प्लास्टिक और कई अन्य इंडस्ट्री के लिए बिजली कच्चे माल की तरह है। यदि बिजली की लागत बढ़ेगी तो उत्पाद की कीमत भी बढ़ेगी। प्रवासी स्मेलन से पूर्व बिजली की दरें बढ़ाना सरकार की कार्य योजना पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।