Congress : कांग्रेस ने राजस्थान में 50 में से 45 जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है। लेकिन कांग्रेस ने राजस्थान के इन 5 जिलों में जिला अध्यक्ष क्यों नहीं नियुक्त किया? जानिए कहां फंसा है पेंच?
Congress : राजस्थान कांग्रेस ने 50 में से 45 जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है। लेकिन पांच जिलों के अध्यक्षों का नाम सूची में नदारद थे। अब हर जुबां पर यह सवाल है कि आखिरकार इन पांच जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति क्यों नहीं हुई है। जयपुर शहर, राजसमंद, प्रतापगढ़, बारां और झालावाड़ के जिलाध्यक्ष अभी नहीं बनाए गए हैं।
बताया जा रहा है कि झालावाड़ और बारां जिले में अंता विधानसभा उपचुनाव के चलते संगठन सृजन अभियान रोक दिया गया था। जिस वजह से चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। रही बात जयपुर शहर, राजसमंद और प्रतापगढ़ में यहां पर जिला अध्यक्षों के नाम को लेकर विवाद और खींचतान के चलते घोषणा नहीं की गई। जल्द ही इन नामों की भी घोषणा कर दी जाएगी।
प्रदेश में संगठन के लिहाज से सबसे बड़े जयपुर शहर का नाम शामिल नहीं होने से शहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बेचैनी बढ़ गई है। दावेदारों में सांगानेर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे पुष्पेन्द्र भारद्वाज और कांग्रेस नेता सुनील शर्मा के बीच मुख्य मुकाबला बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इनमें से एक का नाम फाइनल हो चुका था, लेकिन जब सूची जारी हुई तो जयपुर शहर का नाम उसमें शामिल नहीं था।
इस बीच जयपुर शहर के मौजूदा अध्यक्ष आर.आर. तिवाड़ी ने कहा कि वे कल भी दावेदार थे और आज भी हैं। सुनील शर्मा को लोकसभा चुनाव में पहले प्रत्याशी बनाया गया था। बाद में उनका टिकट काटकर प्रताप सिंह खाचरियावास को टिकट दिया गया था। वहीं पुष्पेन्द्र भारद्वाज सांगानेर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे हैं। अब मुकाबले में तीसरे नाम के भी शामिल होने की चर्चा है।
जिला अध्यक्ष नियुक्ति में पार्टी ने विभिन्न जिलों में जातीय-सामाजिक संतुलन साधने, युवा चेहरों को अवसर देने और आगामी राजनीतिक चुनौतियों को देखते हुए यह फेरबदल किया है। कई जिलों में पुराने पदाधिकारियों की जगह नए चेहरे लाए गए हैं, जबकि कुछ जगहों पर अनुभवी नेताओं पर ही भरोसा जताया गया है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाइकमान पिछले कुछ समय से राजस्थान संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहा था, ताकि आने वाले पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर सके।
प्रदेश के वरिष्ठ नेता अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनने में काफी हद तक सफल रहे हैं। सभी बड़े नेताओं ने अपने-अपने जिलों में अपनी पसंद के अध्यक्ष बनवाए हैं। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अपने समर्थकों को अध्यक्ष बनवाने में ज्यादा सफल रहे।
संगठन सृजन अभियान विवादों में भी रहा था। रायशुमारी के दौरान कई बार अलग-अलग गुटों के नेताओं ने शक्ति प्रदर्शन किया था। कई जगह हाथापाई की नौबत भी आई थी। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने बयान दिया था कि कई बड़े नेता अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके पर्यवेक्षकों पर दबाव बना रहे हैं जो ठीक नहीं है।