जयपुर में दो दिन तक रेस्क्यू टीम को छकाने के बाद आखिरकार लेपर्ड गुरुवार आधी रात बाद पिंजरे में आ ही गया। वन विभाग की टीम ने चांदपोल बाजार स्थित कुरैशी कॉलोनी के एक घर के गैराज से काफी मशक्कत के बाद लेपर्ड को ट्रैंकुलाइज करके रेस्क्यू किया।
Leopard movement in Jaipur: जयपुर। दो दिन तक रेस्क्यू टीम को छकाने के बाद आखिरकार लेपर्ड गुरुवार देर रात पिंजरे में आ ही गया। वन विभाग की टीम ने चांदपोल बाजार स्थित कुरैशी कॉलोनी के एक घर के गैराज से काफी मशक्कत के बाद लेपर्ड को ट्रैंकुलाइज करके रेस्क्यू किया। हालांकि सूचना देने के काफी देर बाद रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची, इससे लोग आक्रोशित हो गए।
जानकारी के अनुसार लेपर्ड सरोज सिनेमा हॉल से महज 20 मीटर दूर स्थित एक घर के गैराज में पहुंचा। मोहम्मद साबिर के मुताबिक उन्होंने गैराज में रात 8 बजे लेपर्ड को सबसे पहले देखा, फिर शटर बंद करके वन विभाग को सूचना दी। बताया जा रहा है कि लेपर्ड सबसे पहले सरोज सिनेमा हॉल, फिर नजदीक ही मंसूरी मंजिल होते हुए साबिर के गैराज में घुस गया। एरिया विवाद के कारण करीब डेढ़ घंटे बाद रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची, इससे पहले आसपास काफी लोग एकत्र हो गए थे। टीम ने कई प्रयास के बाद ट्रैंकुलाइज करके लेपर्ड को रात 12:50 बजे पकड़ ही लिया।
जयपुर में पानीपेच स्थित नेहरू नगर में बुधवार को देखा गया लेपर्ड गुरुवार सुबह परकोटा के निकट सीकर हाउस इलाके में पहुंच गया। वहां पहले उसे एक घर की छत पर, फिर सड़क पर दौड़ते देखा गया। वह एक राहगीर के सामने से भी गुजरा। इस दौरान वाहनों की भी आवाजाही हो रही थी। उधर, पानीपेच इलाके में सर्च कर रही वन विभाग की टीम को इसकी भनक तक नहीं लगी और वह चार किलोमीटर दूर घनी आबादी से होते हुए सीकर हाउस तक पहुंच गया। रेंजर अजीत मीणा का कहना है कि फुटेज में ही लेपर्ड दिखा था, इसके अलावा अन्य जगह की कोई सूचना नहीं है।
सीकर हाउस कॉलोनी निवासी दिनेश पंचौली ने बताया कि वह घर की छत पर बने कमरे में पढ़ाई कर रहा था। सुबह 5 बजकर 57 मिनट पर बाहर से आवाज आई। सोचा बंदर होंगे, इसलिए ध्यान नहीं दिया। दूसरी बार तेज आवाज आने पर बाहर निकला तो लेपर्ड दिखा। सुबह 6 बजकर 12 मिनट पर उसने पड़ोस वाले मकान की छत पर छलांग लगा दी। फिर वहां से कूदकर सामने कल्याण कॉलोनी की गली में घुस गया।
इधर, अचरोल के रूंडल नाका क्षेत्र में एक वर्षीय नर लेपर्ड शावक कुएं में गिर गया था। दूसरे दिन वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर ने पिंजरे में बैठकर कुएं में उतरकर उसका रेस्क्यू किया। उसे ऑब्जर्वेशन के लिए नाहरगढ़ जैविक उद्यान लाया गया है, जहां उसे रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है।