राजस्थान के खानों का मलबा अब खजाना बन सकता है। खान विभाग आइआइटी हैदराबाद और आइआइटी धनबाद से एमओयू कर क्रिटिकल मिनरल खोजेगा। भीलवाड़ा, बूंदी, जोधपुर, राजसमंद समेत कई जिलों में क्वार्ट्ज, फेल्सपार और माइका जैसे बेशकीमती खनिज मिलने की उम्मीद है। पढ़ें सुनील सिंह सिसोदिया की रिपोर्ट...
जयपुर: राजस्थान के तमाम जिलों में खानों का पड़ा मलबा आने वाले समय में राज्य सरकार के खजाने को भरने में सहायक बन सकता है। अभी तक यह मलबा परेशानी का सबब बना हुआ है, लेकिन खान विभाग के प्रयास सफल रहे तो यह मलबा बेशकीमती क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक खनिजों के उत्पादन का जरिया बन सकता है।
इसके लिए खान विभाग ने तैयारी कर ली है। इस मलबे और जमीन में उपलब्धता की जांच कर क्रिटिकल मिनरल तलाशने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) हैदराबाद और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) धनबाद काम करेगी। इससे पहले खान विभाग इनके साथ एमओयू करेगा।
यह दोनों आइआइटी खनन क्षेत्र में खोज और अन्य कार्य करने के लिए विशेषता रखती हैं, इसलिए भारत सरकार ने भी दोनों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित किया हुआ है। प्रदेश के कई जिलों में ये मलबे के पहाड़ खड़े हैं। अब इसे एमसैंड (पत्थर पीसकर बजरी बनाने) के उपयोग के लिए चर्चा हो रही है, लेकिन अब इस मलबे में से क्रिटिकल मिनरल की खोज होगी।
खानों का मलबा वैसे तो पूरे प्रदेश में खानों के पास पड़ा है, लेकिन कुछ जिलों के मिनरल के मलबे में क्रिटिकल मिनरल होने का पता चलने के बाद जांच की तैयारी चल रही है। मुख्य रूप से भीलवाड़ा, बिजौलिया, बूंदी, जोधपुर, राजसमंद, उदयपुर, कोटा, कोटपूतली, रामगंज मंडी, चित्तौड़गढ़ में सैंड स्टोन, कोटा स्टोन, ग्रेनाइट, आयरन, मार्बल, लाइम स्टोन, क्वार्ट्ज, फेल्सपार और माइका सहित अन्य मिनरल का सैकड़ों टन मलबा है।
खान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, आइआइटी हैदराबाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) में काफी पकड़ रखती हैं। इसके लिए यह कंपनी मलबे के ढेरों के आकलन के अलावा जमीन के अंदर किस प्रकार के सामरिक महत्व के मिनरल हो सकते हैं। इसके लिए काम करेगी। वहीं, आइआइटी धनबाद मलबे में खोज कर क्रिटिकल मिनरल की तलाश करेगी।
सूत्रों के मुताबिक, क्वार्ट्ज, फेल्सपार और माइका अब क्रिटिकल मिनरल माने जाने लगा है। पहले यह चार से पांच हजार रुपए टन तक बाजार में उपलब्ध था, लेकिन इस मिनरल की चाइना के खरीद एक लाख रुपए टन तक में करने का पता चलने के बाद इसे इसी साल फरवरी में माइनर से मेजर मिनरल की श्रेणी में ले लिया गया। बताया जा रहा है कि इस मिनरल का उपयोग चाइना में सेमी कंडक्टर और मिसाइल टेक्नॉलॉजी में उपयोग में लिया जा रहा था।
प्रदेश में क्रिटिकल मिनरल जितना दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा हो सकता है, इसके लिए एआइ से भी पड़ताल कराएंगे। मलबे में भी क्रिटिकल मिनरल होने की बात सामने आई है, इसकी जांच के लिए दो आइआइटी के साथ जल्द एमओयू करेंगे।
-टी. रविकांत, प्रमुख खान सचिव