राजस्थान एनएचएआई का बड़ा राजस्व केंद्र बन गया है। देश में तीसरे नंबर की हाइवे लंबाई के बावजूद यहां 172 टोल प्लाजा हैं। 10 साल में 45 हजार करोड़ की वसूली हुई, जबकि कई हाइवे और एक्सप्रेस-वे अधूरे व खामियों से घिरे होने के बावजूद टोल वसूली जारी है।
जयपुर: नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के लिए राजस्थान सोने की खान साबित हो रहा है। अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान से सबसे अधिक टोल कलेक्शन हो रहा है। राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई में राजस्थान देश में तीसरे स्थान पर है, लेकिन टोल प्लाजा की संख्या में पहले नंबर पर है।
अकेले राजस्थान में ही नेशनल हाइवे पर 172 टोल प्लाजा संचालित हैं। केंद्र सरकार ने हाल ही में एक सवाल के जवाब में बताया कि देशभर में नेशनल हाइवे पर 1,135 टोल प्लाजा शुल्क वसूली कर रहे हैं।
पिछले दस वर्षों में राजस्थान के टोल प्लाजाओं पर वाहनों से 45 हजार करोड़ रुपए से अधिक की वसूली हुई है, जो अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। टोल वसूली में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है। जहां करीब 41 हजार करोड़ से अधिक की टोल वसूली हुई है।
राजस्थान से गुजरने वाले कई नेशनल हाइवे और नेशनल एक्सप्रेस-वे में निर्माण और तकनीकी खामियां सामने आई हैं, लेकिन इसके बावजूद एनएचएआई ने टोल वसूली में किसी तरह की राहत नहीं दी है। मामला राजस्थान से गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का हो या अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे का, केंद्र सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि दोनों एक्सप्रेस-वे में तकनीकी कमियां हैं।
-18,462 किमी लंबाई महाराष्ट्र में (सबसे अधिक)
-12,123 किमी लंबाई उत्तर प्रदेश में (दूसरे नंबर पर)
-10,733+ किमी राजस्थान में (तीसरे नंबर पर)
कई अन्य नेशनल हाइवे पर भी खामियां पाई गई हैं। जयपुर-गुरुग्राम सिक्स-लेन हाइवे तो देश के उन हाइवे में शामिल है, जहां सबसे ज्यादा टोल वसूली होती है। इसके बावजूद यह हाइवे अब तक पूरा नहीं बन पाया है। इसे 2011 में बनकर तैयार होना था, लेकिन आज तक इसका निर्माण अधूरा है। कुछ प्रस्तावित पुराने ओवरब्रिज तो 17 वर्ष से अधूरे ही पड़े हैं।