जयपुर

एनएचएआई की पहल, अब फास्टैग नहीं, GNSS बेस्ड इलेक्ट्रोनिक सिस्टम वसूलेगा टोल

NHAI Initiatives : एनएचएआई की पहल। फास्टैग नहीं, GNSS बेस्ट इलेक्ट्रोनिक सिस्टम वसूलेगा टोल। अब सेटेलाइट करेगा काम। जितना वाहन दौड़ेगा उतना ही टोल कटेगा। कब शुरू होगा। GNSS बेस्ट इलेक्ट्रोनिक सिस्टम कैसे काम करेगा। जानिए रोचक जानकरियां।

3 min read
एनएचएआई की पहल, फास्टैग नहीं, GNSS बेस्ड इलेक्ट्रोनिक सिस्टम वसूलेगा टोल

अरविन्द सिंह शक्तावत

NHAI Initiatives : बड़ी न्यूज। टोल प्लाजा पर लगने वाले समय को कम करने के लिए केंद्र फास्टैग लेकर आया। कुछ दिनों तक यह कारगर साबित हुआ, पर अब फिर नेशनल हाईवे के टोल प्लाजाओं पर लम्बी-लम्बी लाइनें लगने लगी हैं। लम्बी लाइनों से छुटकारा दिलाने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया अब जीएनएसएस (ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम) लाने की तैयारी में जुट गया है। आने वाले समय में देश में जीएनएसएस बेस्ट इलेक्ट्रोनिक टोल सिस्टम काम करेगा, जो बेरियर फ्री होगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने देश-विदेश की ऐसी कंपनियों को आमंत्रित किया है, जो जीएनएसएस की सहायता से टोल प्रणाली पर काम कर रही हैं। जुलाई में कंपनियों से बात होगी और इसके बाद प्रयोग के तौर पर किसी एक नेशनल हाईवे पर इसका परीक्षण किया जाएगा।

जीएनएसएस से सुलझेगी समस्या

देश में बड़ी संख्या में हाईवे-एक्सप्रेस-वे शुरू हुए हैं, लेकिन वाहनों की खरीद भी उतनी ही तेजी से बढ़ी है। फास्टैग कई बार काम नहीं करते। इससे अक्सर टोल पर टैक्स देने में समय लगता है। फास्टटैग के बावजूद कई नेशनल हाईवे पर 200-500 मीटर तक की लाइन लग जाती है। इस समस्या को सुलझाने के लिए जीएनएसएस का इस्तेमाल होने जा रहा है। इसका उद्देश्य वैश्विक नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम आधारित इलेक्ट्रोनिक टोल संग्रह प्रणाली को लागू करना है, जिससे भौतिक टोल बूथों की जरूरत समाप्त हो जाएगी।

यह भी पढ़ें -

एनएचएआई और वाहन चालकों को फायदा

जीएनएसएस बेस्ड टोल प्रणाली लागू होने से राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की सुचारू आवाजाही आसान होगी। टोल कटने में लगने वाला समय बचेगा। दूरी आधारित टोल प्रणाली है। इससे उपयोगकर्ताओं से केवल तय की गई दूरी के लिए ही पैसे देने होंगे। टोल चोरी थमने से टोल संग्रहण बढ़ेगा।

एनएचएआई की पहल

कम दूरी तय कम टोल

जीएनएसएस आधारित टोल सिस्टम से टोल रोड पर कम दूरी तय करने वाले वाहनों को कम टोल देना होगा और लम्बी दूरी तय करने वाले वाहनों के समय की बचत होगी।

किस तरह से कटेगा टोल, यह भी तय होगा

जीएनएसएस बेस्ड टोल प्रणाली से टोल किस तरह से कटेगा। यह भी कंपनियां बताएंगी। कार नम्बर से टोल कटेगा या फिर वाहनों पर कोई चिप लगानी होगी। इन सब सवालों के जवाब भी संभवत: इस साल के अंत तक मिल पाएंगे।

यों समझें जीएनएसएस से टोल कटने का गणित

एक गाड़ी जयपुर से किशनगढ़ छह लेन पर चल रही है। जयपुर में 200 फीट बाइपास के पास टोल रोड शुरू होता है। जैसे ही आपकी कार इस राजमार्ग पर आएगी, तो सीधे जीएनएसएस उसे कैप्चर करेगा। इसके बाद उस राजमार्ग पर जितने किमी गाड़ी चलेगी। उसे उतना ही टोल देना होगा। उदाहरण के तौर पर आप इस राजमार्ग पर 50 किमी चले और नियमानुसार प्रति किमी एनएचएआई एक रुपया टोल वसूलती है तो आपसे पचास रुपए ही वसूले जाएंगे। अभी ऐसा नहीं है। अभी आप बीस किमी चलें या 80 किमी। यदि बीस किलोमीटर के अंदर ही टोल प्लाजा आया और उस पर टोल पचास रुपए है तो आपको पचास रुपए ही देने पड़ते है।

एनएचएआई की पहल

क्या है जीएनएसएस टेक्नोलॉजी

यह प्रणाली वाहनों की गतिविधियों पर नजर रखने और टोल वाले राजमार्गों पर तय की गई दूरी के आधार पर टोल की गणना करने के लिए सेटेलाइट का उपयोग करती है। इसमें जीएनएसएस-सक्षम ऑन बोर्ड यूनिट्स (ओबीयू) वाहनों में लगाए जाएंगे। टोल वाले राजमार्ग पर यात्रा की दूरी के आधार पर शुल्क लगेगा।

फिलहाल फास्टैग भी चलता रहेगा

फास्टैग प्रणाली को तत्काल खत्म नहीं किया जाएगा। NHAI ने मौजूदा फास्टैग पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर जीएनएसएस-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ईटीसी) प्रणाली को लागू करने की योजना बनाई है। शुरुआत में एक हाइब्रिड मॉडल उपयोग किया जाएगा, जहां आरएफआईडी आधारित ईटीसी और जीएनएसएस-आधारित ईटीसी दोनों साथ काम करेंगे।

यह भी पढ़ें -

Updated on:
24 Jun 2024 04:34 pm
Published on:
24 Jun 2024 02:07 pm
Also Read
View All

अगली खबर