जयपुर

जमवारामगढ़ अभयारण्य में दिखा दुर्लभ बारहसिंघा, अचानक आमखोल महादेव मंदिर के पास पहुंचा…फिर हो गया ओझल

Jamwaramgarh sanctuary: स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना था कि उन्होंने मंदिर परिसर के आसपास कभी इस तरह का दुर्लभ वन्यजीव नहीं देखा। अचानक सामने आए इस नजारे ने उन्हें रोमांच और आश्चर्य से भर दिया।

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Sep 03, 2025
दुर्लभ बारहसिंघा (फोटो-पत्रिका)

जयपुर। जमवारामगढ़ रेंज में स्थित आमखोल महादेव मंदिर के पास उस समय रोमांचक दृश्य देखने को मिला जब मंदिर परिसर में आए श्रद्धालुओं की नजर एक दुर्लभ वन्यजीव बारहसिंघा पर पड़ी। यह नजारा देख श्रद्धालु उत्साहित हो उठे और कई लोगों ने पहली बार इस वन्यजीव को नजदीक से देखा।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बारहसिंघा के सिर पर बारह शाखाओं वाले आकर्षक सींग थे, जो इसकी पहचान का प्रमुख आधार हैं। इसे 'दलदली हिरण' भी कहा जाता है। इसका शरीर हल्के भूरे रंग का था और पूंछ पर सफेद किनारे साफ दिखाई दे रहे थे। कुछ देर तक यह खुले स्थान में टहलता रहा, जिसके बाद अचानक जंगल की ओर दौड़ता हुआ ओझल हो गया।

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संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में शामिल

विशेषज्ञों के अनुसार बारहसिंघा प्रायः झुंड में रहने वाला वन्यजीव है और इसे संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में शामिल किया गया है। दलदली व घासयुक्त क्षेत्रों में रहने वाला यह हिरण राजस्थान में बेहद कम दिखाई देता है। इसके संरक्षण और संवर्धन को लेकर वन विभाग समय-समय पर प्रयास करता रहा है।

जैव विविधता के लिए सकारात्मक संकेत

जमवारामगढ़ अभयारण्य में बारहसिंघा का दिखाई देना यहां की जैव विविधता के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि इस तरह की झलक से न केवल अभयारण्य का महत्व बढ़ता है बल्कि लोगों में वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता भी आती है।

पहली बार दिखा दुर्लभ बारहसिंघा

स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना था कि उन्होंने मंदिर परिसर के आसपास कभी इस तरह का दुर्लभ वन्यजीव नहीं देखा। अचानक सामने आए इस नजारे ने उन्हें रोमांच और आश्चर्य से भर दिया। वन विभाग के अधिकारी भी इस सूचना की पुष्टि कर रहे हैं और इसे महत्वपूर्ण बताया है।

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Updated on:
03 Sept 2025 02:06 pm
Published on:
03 Sept 2025 02:05 pm
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