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सांभर झील में पहली बार आई मछलियां, क्या इस झील से नमक हो रहा कम? विशेषज्ञों ने बताई असली वजह

इस वर्ष अब तक 738 मिमी वर्षा दर्ज की जा चुकी है, जो औसत से अधिक है। केवल अगस्त में ही 171 मिमी और सितंबर के पहले दिन 60 मिमी वर्षा दर्ज हुई।

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झील में आई मछलियों का प्रवासी मजदूर शिकार करते हुए (फोटो: पत्रिका)

देश की खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील इन दिनों अच्छी बारिश से मीठे पानी की आवक हुई है। इसके साथ आसपास के बांधों से बड़ी संख्या में मछलियां भी झील में पहुंच गई हैं। यह पहली बार है जब इस झील में लोग मछलियां देख रहे हैं। झील के आसपास रहने वाले प्रवासी मजदूरों ने यहां जाल डालकर मछलियां पकड़ना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्षा जल की आवक से झील का खारापन घटा है। इससे मछलियां यहां पहुंच गई है।

औसत से अधिक बारिश

इस वर्ष अब तक 738 मिमी वर्षा दर्ज की जा चुकी है, जो औसत से अधिक है। केवल अगस्त में ही 171 मिमी और सितंबर के पहले दिन 60 मिमी वर्षा दर्ज हुई।

पिछले पांच वर्षों में बारिश का स्तर 2021 में 611 मिमी, 2022 में 805 मिमी, 2023 में 532 मिमी और 2024 में 881 मिमी रहा था।

एक फीट तक की मछलियां…

श्रमिकों और स्थानीय लोगों के अनुसार झील में 2 इंच से लेकर 1 फीट तक की मछलियां हैं। इनमें करसी (छोटी कार्प), स्नेकहेड (चन्ना) और सिंगही/ मगुर (कैटफिश) शामिल हैं।

रामसर साइट का दर्जा

सांभर झील को रामसर साइट वेटलैंड का दर्जा प्राप्त है। यहां वर्ष 2019 और दीपावली 2024 में पक्षी त्रासदी के दौरान हजारों प्रवासी पक्षियों की मौत हुई थी। ऐसे में झील में अचानक मछलियां आना पर्यावरण और जैव विविधता विशेषज्ञों के लिए अध्ययन का विषय बन गया है।

अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाएंगी

वर्षा जल की आवक से झील का खारापन घटकर 2.0 तक पहुंच गया है, जो मीठे पानी का संकेत है। इस कारण आसपास के तालाबों और नदियों में मौजूद मछलियां और अन्य जलीय जीव झील में पहुंच गए हैं। हालांकि मानसून समाप्त होने और लवणता बढ़ने के बाद इनका जीवित रहना संभव नहीं होगा।

डॉ. आबिद अली, पर्यावरणविद् व पक्षी विशेषज्ञ