जयपुर

RPS Bribery Case : आरपीएस दिव्या मित्तल को सरकार से क्लीनचिट, कोर्ट से पहले हार गई एसीबी

RPS Bribery Case : राजस्थान पुलिस सेवा की अधिकारी दिव्या मित्तल घूसखोरी मामला में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को बड़ा झटका लगा। आरपीएस दिव्या मित्तल को सरकार से क्लीनचिट मिली। भजनलाल सरकार ने भ्रष्टाचार का केस चलाने की अनुमति देने से इनकार किया।

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राजस्थान पुलिस सेवा की अधिकारी दिव्या मित्तल। फाइल फोटो पत्रिका

RPS Bribery Case : राजस्थान पुलिस सेवा की अधिकारी दिव्या मित्तल द्वारा दवाई निर्माताओं से 2 करोड़ रुपए की घूस मांगने के चर्चित मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को बड़ा झटका लगा। ठोस सबूत पेश नहीं कर पाने से एसीबी, सरकार के सामने ही केस हार गई, जिससे दिव्या मित्तल के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल पाई। इससे तीन साल पहले दिव्या मित्तल के खिलाफ की गई एसीबी की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं।

सूत्रों के अनुसार कार्मिक विभाग के अधिकारियों ने माना है कि उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए एसीबी ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17ए के तहत स्वीकृति नहीं ली और ट्रांसक्रिप्ट में काट-छांट की गई। चौंकाने वाली बात यह है कि मामले से संबंधित ऑडियो की एफएसएल ने पुष्टि कर दी, लेकिन रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि आवाज किसकी थी।

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वॉयस सैंपल नहीं दिया

दिव्या मित्तल ने वॉयस सैंपल देने से इनकार कर दिया था। एसीबी के प्रस्ताव में खामियों के कारण सरकार ने दिव्या मित्तल का पक्ष जानने के बाद अभियोजन स्वीकृति देने से इनकार कर दिया।

दरअसल, एसीबी ने 16 जनवरी 2023 को एसओजी की तत्कालीन एएसपी दिव्या मित्तल को गिरफ्तार किया था। जमानत मिलने के बाद एसीबी ने मित्तल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का एक और मुकदमा दर्ज किया था।

16 करोड़ रुपए की दवाइयों का मामला

23 मई 2021 को जयपुर की विश्वकर्मा पुलिस ने ट्रांसपोर्ट कंपनी के पास टेम्पो पकड़ा और मोहम्मद ताहिर को गिरफ्तार किया। इसमें करीब 5 करोड़ रुपए की दवाइयां थीं। 24 मई 2021 को अजमेर के रामगंज के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित एक गोदाम से 114 कार्टन नशीली दवाइयां बरामद की गईं। जिनकी कीमत 5.5 करोड़ रुपए बताई गई।

1 जून 2021 को अजमेर के रामगंज और अलवरगेट थाना पुलिस ने करीब 5 करोड़ 53 लाख रुपए कीमत की दवाओं के 110 कार्टन बरामद किए थे। इनमें 35 लाख टैबलेट्स, इंजे€शन और सिरप थे।

केस से नाम हटाने की एवज में घूस

जांच एसओजी की अजमेर चौकी की प्रभारी दिव्या मित्तल को सौंपी गई थी। हरिद्वार की दवा कंपनी के मालिक ने एसीबी को शिकायत की कि केस से नाम हटवाने के लिए दिव्या मित्तल ने बर्खास्त कांस्टेबल के माध्यम से 2 करोड़ रुपए की घूस मांगी। आरोप था कि बाद में परिवादी और कांस्टेबल के बीच 50 लाख रुपए में सौदा तय हुआ।

परिवादी पहली किस्त के 25 लाख रुपए कांस्टेबल को देने गया, लेकिन एसीबी का ट्रैप फेल हो गया। हालांकि, एसीबी ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 17ए के तहत स्वीकृति के बिना ही दिव्या मित्तल को घूस मांगने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। इस संबंध में दिव्या मित्तल ने सरकार के समक्ष आरोप लगाया कि एसीबी ने मनगढ़त साक्ष्य बनाकर षड्यंत्र के तहत कार्रवाई की।

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Published on:
13 Dec 2025 08:35 am
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