Rajasthan News: विधानसभा क्षेत्र सांगानेर में तालाब की जमीन को बंजर या बारानी में बदलने की गंभीर अनियमितता सामने आने के बाद राजस्व मंडल ने बड़ी कार्रवाई की है।
Rajasthan News: राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सख्ती का असर दिखने लगा है। अपने ही विधानसभा क्षेत्र सांगानेर में तालाब की जमीन को बंजर या बारानी में बदलने की गंभीर अनियमितता सामने आने के बाद राजस्व मंडल ने बड़ी कार्रवाई की है। सांगानेर तहसीलदार कार्तिकेय लाटा, पटवारी नयनसी वर्मा और पूर्व पटवारी हाकिम सिंह गुर्जर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
मामला सांगानेर तहसील के पालड़ी परसा गांव का है, जहां पेटा तालाब की करीब 18 हेक्टेयर जमीन को मिलीभगत से बंजर या बारिश पर निर्भर (बारानी) भूमि में बदल दिया गया था।
राजस्व मंडल के आदेश के अनुसार, तहसीलदार कार्तिकेय लाटा ने रेफरेंस कोर्ट में पेश करने के बजाय जानबूझकर गलत मौका रिपोर्ट प्रस्तुत की। उनकी रिपोर्ट में संबंधित खसरा नंबरों की जमीन को सूखा बताया गया, जबकि मौके पर आज भी उन खसरा नंबरों में पानी भरा हुआ है और वह स्पष्ट रूप से तालाबी जमीन है। तहसीलदार की इसी गलत रिपोर्ट के आधार पर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (द्वितीय) ने जमीन की किस्म परिवर्तन के आदेश जारी कर दिए थे।
जब यह मामला ऊपर तक पहुंचा तो जिला कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी ने पूरी जांच करवाई। जांच में तहसीलदार की रिपोर्ट को पूरी तरह गलत पाया गया। इसके बाद जिला कलेक्टर ने मामले को राजस्व मंडल भेजा। मंडल के सदस्य महावीर प्रसाद शर्मा ने जिला कलेक्टर की रिपोर्ट और जांच समिति के निष्कर्षों के आधार पर तीनों अधिकारियों को तुरंत निलंबित करने के आदेश जारी किए।
निलंबन आदेश में स्पष्ट लिखा गया है कि ये अधिकारी प्रकरण में संलिप्त पाए गए हैं और इनकी मिलीभगत से सरकारी तालाब की बहुमूल्य जमीन को निजी हितों के लिए बदलने की कोशिश की गई। निलंबन अवधि में तहसीलदार कार्तिकेय लाटा जयपुर जिला मुख्यालय से संबद्ध रहेंगे, जबकि दोनों पटवारी अपने तहसील मुख्यालय से संबद्ध रहेंगे।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस कार्रवाई पर कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि उनके क्षेत्र में भी कोई लापरवाही, भ्रष्टाचार या गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चाहे अधिकारी किसी भी स्तर का हो, दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी। सीएम ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि राजस्व मामलों में पारदर्शिता और ईमानदारी बरतें, वरना ऐसे ही परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
यह पहला मौका नहीं है जब सांगानेर क्षेत्र में तालाब या चारागाह की जमीन को लेकर विवाद हुआ हो। पिछले कुछ वर्षों में यहां कई तालाबों की जमीन पर अवैध कब्जे और कॉलोनियां बसाने के प्रयास हो चुके हैं। लेकिन मुख्यमंत्री का खुद का क्षेत्र होने के कारण इस बार प्रशासन ने तुरंत और सख्त कदम उठाया।