बच्चों के लिए लाइब्रेरी से हर हफ्ते नई किताब लेने की व्यवस्था की गई है। बच्चे उस किताब को पढ़कर कक्षा में डायलॉग सेशन करते हैं। वे किताब की कहानी, पात्रों और संदेशों पर चर्चा करते हैं।
डिजिटल दौर में जहां बच्चों का अधिक समय मोबाइल, टीवी और लैपटॉप की स्क्रीन पर गुजर रहा है, वहीं जयपुर के केंद्रीय विद्यालयों ने रीडिंग की पहल शुरू की है। यहां बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित करने और स्क्रीन टाइम कम करने के लिए कक्षा में रोजाना 35 मिनट का विशेष सत्र रखा जा रहा है। इसमें बच्चों को कहानियां, जीवनी, साहित्य और मोटिवेशनल पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
बच्चों के लिए लाइब्रेरी से हर हफ्ते नई किताब लेने की व्यवस्था की गई है। बच्चे उस किताब को पढ़कर कक्षा में डायलॉग सेशन करते हैं। वे किताब की कहानी, पात्रों और संदेशों पर चर्चा करते हैं। बच्चे बुक रिव्यू लिख रहे हैं और इसे प्रार्थना सभा में शेयर कर रहे हैं।
इस पहल में शिक्षक बच्चों के साथ किताब पढ़ने और चर्चा करने में शामिल होते हैं। अध्यापकों का मानना है कि यह प्रयोग बच्चों की रुचि को पहचानने और उन्हें सही दिशा देने में मददगार हो रहा है।
बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है और किताबों से उनकी दूरी चिंताजनक है। रीडिंग हैबिट खत्म होने की कगार पर है। बच्चों में अब पहले जैसा धैर्य नहीं रहा कि वे दो-तीन घंटे लगातार पढ़ सकें। ऐसे में हमने रीडिंग की आदत डालनी शुरू की है। इससे उन्हें काफी फायदा होगा।
बच्चों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे लाइब्रेरी से पसंद की किताबें चुनें और उन्हें पढ़ें। बच्चे जो किताब चुनते हैं, उसे लेकर बैठते हैं और हम 35 मिनट के लिए टाइमर चालू करते हैं। पत्रिका विनिंग हैबिट जैसे अभियान से भी बच्चों को पढ़ने की आदतों और उसके महत्व के बारे में समझा रहे हैं।