सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाए जाने के बाद भी इसका उपयोग हो रहा है। वजह है इससे होने वाले नुकसान को लेकर जागरूकता का अभाव।
सरकार की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाए जाने के बाद भी इसका उपयोग हो रहा है। वजह है इससे होने वाले नुकसान को लेकर जागरूकता का अभाव। हम इसका उपयोग भी करते हैं और बैन की बात भी करते हैं, लेकिन बात जब इसकी पहचान की आती है तो पहला सवाल मन में यही आता है कि प्लास्टिक के बारे में हमें जानकारी ही नहीं तो हमें कैसे पता चलेगा कि सिंगल यूज प्लास्टिक कौनसी है?
सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से आमजन को जागरूक करने के लिए सालों से प्रयासरत पंडित दीन दयाल स्मृति मंच के अध्यक्ष विनोद शुक्ला के मुताबिक हम अपने स्तर पर भी इसकी पहचान आसानी से कर सकते हैं-
हम प्लास्टिक की मजबूती और मैटेरियल से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि यह कितने माइक्रोन्स का है। जल्दी टूटने वाले या फटने वाली प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिए। जिस प्लास्टिक सामग्री की मोटाई परखनी है, उसे हाथ से फाड़ कर देखें, अगर हल्का सा जोर लगाने में वह फट जाता है तो वह 50 माइक्रोन से कम है लेकिन थोड़ा अधिक जोर लगाने में फटता है तो इसका अर्थ है कि वह 120 माइक्रोन से कम है।
विनोद शुक्ला कहते हैं कि मॉल्स और शोरूमों में मिलने वाले प्लास्टिक बैग हाथ से खींचने से आसानी से नहीं फटते हंैं, क्योंकि वे मजबूत डेन्सिटी वाले होते हैं। प्लास्टिक के साथ यह प्रयोग डिस्पोजेबल कप, गिलास, प्लेट, चम्मच, स्टिक आदि सामग्री के साथ भी किया जा सकता है। यूज एंड थ्रो वाला यह सामान हाथ के हल्के खिंचाव से ही फट जाता है।
प्लास्टिक की थैली या कैरी बैग की मोटाई माइक्रोन्स से पता चलती है। जब सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाया तो उन 19 सामग्रियों पर रोक लगी, जिनकी मोटाई 50 माइक्रोन्स मापी गई थी। वहीं दूसरे चरण में 31 दिसंबर 2022 से 120 माइक्रोन्स से कम मोटाई वाली प्लास्टिक को बैन किया गया।