PRIVATE BUS STRIKE : पांच दिनों से चल रही निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल आखिरकार बिना शर्त समाप्त हो गई।
जयपुर। पांच दिनों से चल रही निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल आखिरकार बिना शर्त समाप्त हो गई। सरकार की ओर से बस संचालकों की किसी भी शर्त को लिखित में नहीं माना गया है। स्लीपर बस संचालक अपनी मांगों को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बना रहे थे। इसके लिए बस संचालक परिवहन मंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा व अन्य जनप्रतिनिधियों से मिले थे। हड़ताल समाप्त इसलिए नहीं हो रहीं थी, क्योंकि परिवहन विभाग की सचिव शुचि त्यागी ने मांगें नहीं मानी और साफ कहा कि जब तक बसें नियमानुसार नहीं होगी। तब तक वह सडक़ पर नहीं चलने देंगी।
बस संचालकों की ओर से मांगें मानने को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए गए। मंगलवार दोपहर तक जब सारे हथकंडे फेल हो गए तो बस संचालकों ने भजनलाल सरकार को चेतावनी दे डाली। जिसमें कहा गया था कि 5 नंवबर तक मांगें नहीं मानी गईं तो रात से स्टेट कैरिज की बसें भी हड़ताल में शामिल हो जाएंगी। जिसके बाद प्रदेश में करीब 30 हजार निजी बसों का चक्का जाम हो जाएगा। चेतावनी देने के बाद ऐसा क्या हुआ कि अचानक हड़ताल समाप्त हो गई?
स्लीपर बस संचालकों की ओर से हड़ताल अब लंबी होती जा रही थी। स्लीपर बसों में भी गुट बंट गए थे। ऐसे में हड़ताल पूरी तरह सफल भी नहीं हो रही थी। जिनकी बसें खड़ी थी, उन्हें हर दिन नुकसान हो रहा था। ऐसे में हड़ताल के कारण बस संचालक भी अंदरूनी तौर पर दबाव में थे। वहीं, परिवहन विभाग की सचिव शुचि त्यागी किसी भी तरह से इस हड़ताल से दबाव में नहीं आईं। रात में बस संचालकों और अपर परिवहन आयुक्त ओमप्रकाश बुनकर के बीच वार्ता हुई। इसके बाद बस संचालकों ने हड़ताल समाप्त कर दी। आज सुबह से स्लीपर बसों का वापस चलना शुरू हो गया है। बसें सवारियां लेकर आती जाती दिखाई दे रहीं है।
ऑल राजस्थान कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बस यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने बताया कि हम यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सरकार जितने ही गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि हम बिना किसी शर्त के बसों की हड़ताल वापस लेते हैं। सुरक्षा के सभी मापदंड पूरे करके ही बसों का संचालन करेंगे। उन्होंने कहा कि सडक़ हादसे चिंताजनक हैं और उनमें हुई जनहानि पर हमें गहरा दुख है। आगे से हर बस में सुरक्षा के नियमों का पूरी तरह पालन किया जाएगा।