जयपुर

छीतौली बांध की नहीं बुझी प्यास, बरसात के बाद भी सूखा

Chheetoli Dam: जहां कभी लबालब भरता था बांध, वहां आज सूखा और सन्नाटा - अतिक्रमण और अवैध खनन ने रोकी प्राकृतिक जलधारा

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Sep 06, 2025
Photo: Patrika

climate change impact: कोटपूतली-बहरोड़. जिले के विराटनगर विधानसभा क्षेत्र का छीतौली गांव कभी पानी की समृद्धि का प्रतीक माना जाता था। 1950 में निर्मित छीतौली बांध आज अपनी ही बदहाली पर आंसू बहा रहा है। छीतौली गांव का बांध आज सिर्फ एक चेतावनी है कि अगर इंसान प्रकृति के रास्ते रोक देगा तो कल पानी नहीं बचेगा। यह बांध कभी 24 एमसीएम पानी संजोकर अनेक गांवों की प्यास बुझाता था और सैकड़ों हेक्टेयर जमीन को उपजाऊ बनाता था। आज हाल यह है कि बरसात के मौसम में भी यह सूखा पड़ा है।

लगातार हो रही बरसात और इस साल के अच्छे मानसून के बावजूद बांध में 1 फुट भी पानी नहीं आया। विराटनगर के पहाड़ों और मलूताना के जंगलों से बहकर आने वाली प्राकृतिक बरसाती नदियां कभी इस बांध को लबालब भर देती थीं। लेकिन पिछले 9-10 वर्षों में अतिक्रमण और कैचमेंट एरिया में हुई अवैध माइनिंग ने पानी के प्राकृतिक रास्तों को बंद कर दिया है। नतीजा यह हुआ कि जिन खेतों तक हरियाली पहुंचती थी वहां आज सूखे की मार है। कारण साफ है कि कैचमेंट एरिया में अवैध खनन, नालों पर कब्जे और अतिक्रमण ने प्राकृतिक बहाव क्षेत्र को तबाह कर दिया। जहां कभी पहाड़ों से उतरती नदियां बांध को भर देती थीं वहां अब जेसीबी और ट्रकों, ट्रैक्टरों की कतार है।

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53 किलोमीटर क्षेत्र का बढ़ता था जलस्तर

कभी इस बांध से 53 किलोमीटर क्षेत्र का जलस्तर बढ़ जाता था। भोजपुरा, जयसिंहपुरा, छीतौली, जादूका वास, बडऩगर, खरबूजी, सूरजपुरा, बहादुरपुरा सहित 12 गांवों को सीधी सिंचाई मिलती थी जबकि पावटा, आंतेला, भाभरू, ढाणी गैसकान जैसे इलाकों का भूजल स्तर भी ऊंचा हो जाता था। अब यह सब इतिहास बन गया है।

ईआरसीपी परियोजना से जगी उम्मीद

हालांकि अब एक नई उम्मीद जगी है। सरकार ने इस बांध को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) और राम जल सेतु लिंक परियोजना से जोड़ा है। जल संसाधन विभाग के अनुसार कैचमेंट एरिया का सर्वे कराया जाएगा, अवैध खनन व अतिक्रमण हटाए जाएंगे और प्राकृतिक जल प्रवाह को पुनर्जीवित कर बांध को फिर से भरने योग्य बनाया जाएगा। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार जब बांध भरा रहता था तो वर्ष भर पर्यटकों का आवागमन लगा रहता था व मछली पालन किया जाता था। अगर छीतौली बांध में फिर से पानी आया तो न सिर्फ खेत हरे होंगे बल्कि सैकड़ों परिवारों की किस्मत भी बदल जाएगी। सवाल यह है कि क्या सरकारी प्रयास वाकई इस ऐतिहासिक बांध की प्यास बुझा पाएंगे या छीतौली बांध यूं ही अपनी बदहाली पर आंसू बहाता रहेगा?

कैचमेंट एरिया को अतिक्रमण मुक्त करेंगे

जल संसाधन विभाग की ओर से जल्द ही कैचमेंट एरिया में हुए अतिक्रमण और अवैध माइनिंग का सर्वे करवाया जाएगा और बहाव क्षेत्र को पूर्णत: अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा। ईआरसीपी परियोजना के तहत ईसरदा बांध से रामगढ़, रामगढ़ से त्रिवेणी धाम व त्रिवेणी धाम से छीतौली बांध में पानी लाने की कार्ययोजना चल रही है।

शैलेन्द्र गढ़वाल, सहायक अभियंता जल संसाधन विभाग-कोटपूतली-बहरोड़

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Published on:
06 Sept 2025 02:46 pm
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