Jaisalmer Tourism: बार-बार लगने वाली आग की घटनाओं के बावजूद अब तक वहां कोई ठोस अग्निशमन व्यवस्था नहीं की गई है। सैकड़ों रिसॉर्ट और टेंट कैंपों में रोजाना हजारों देशी-विदेशी पर्यटक ठहरते हैं।
Jaisalmer Tourism: जैसलमेर के विश्वप्रसिद्ध सम सैंड ड्यून्स में हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। जहां ऊंटों की सवारी, लोक संगीत और टेंटों की चमक से राजस्थान की रेत जीवंत हो उठती है। वहीं, एक सच्चाई ऐसी भी है, जो चौकाती है। वह यहां करोड़ों का पर्यटन कारोबार है, लेकिन सुरक्षा के नाम पर एक भी फायर ब्रिगेड नहीं।
बार-बार लगने वाली आग की घटनाओं के बावजूद अब तक वहां कोई ठोस अग्निशमन व्यवस्था नहीं की गई है। सैकड़ों रिसॉर्ट और टेंट कैंपों में रोजाना हजारों देशी-विदेशी पर्यटक ठहरते हैं। लेकिन आग लगने की स्थिति में न तो कोई दमकल वाहन तैनात है और न ही प्राथमिक बचाव उपकरण पर्याप्त मात्रा में है।
जानकारों का कहना है कि सम सैंड ड्यून्स के लिए कम से कम पर्यटन सीजन में दो दमकल गाड़ियों की व्यवस्था करनी चाहिए। गौरतलब है कि कुछ वर्ष पहले रिसोर्ट व्यवसायियों ने अपने स्तर पर दमकल वाहन के लिए करीब 22 लाख रुपए जमा किए थे, लेकिन वह राशि अपर्याप्त थी।
सम सैंड ड्यून्स क्षेत्र में अग्निकांड के बाद पर शुक्रवार को प्रशासनिक अमला हरकत में आया है। प्रशासन की टीम अब सम एवं खुहड़ी क्षेत्र के सभी रिसोर्ट की जांच करेगी। कैंपों में स्थायी फायर ब्रिगेड की व्यवस्था करने की हिदायत भी पर्यटन हितधारकों और कैंप रिसॉर्ट संचालकों को दी गई है। वहीं, कलक्टर ने फायर ऑफिसर को विस्तृत फायर सेफ्टी प्लान पेश करने के निर्देश दिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं दोबारा न हों।
गौरतलब है कि गुरुवार रात करीब नौ बजे एक रिसॉर्ट में अचानक आग लग गई थी। कुछ ही देर में आग ने विकराल रूप ले लिया और तेज हवाओं के बीच आधा दर्जन टेंट जलकर राख हो गए थे। गनीमत रही कि सभी पर्यटक और कर्मचारी समय रहते सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए, जिससे किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।
जिला कलक्टर प्रताप सिंह की अध्यक्षता में सम एवं खुहड़ी क्षेत्र के पर्यटन हितधारकों और कैंप रिसॉर्ट एसोसिएशन पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसमें कलक्टर ने कहा कि पर्यटकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
पिछले कुछ वर्षों में सम क्षेत्र में कई बार आग लगने से रिसॉर्टों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। ज्वलनशील पदार्थों से बने टेंट और लोहे के पतले ढांचों में लगी आग कुछ ही मिनटों में विकराल रूप ले लेती है। तब जैसलमेर नगर परिषद या अग्निशमन विभाग की गाड़ियां 40 किलोमीटर दूर शहर से पहुंचती हैं। तब तक रिसॉर्ट जलकर राख हो जाता है।
स्थानीय संचालक बताते हैं कि आग बुझाने के लिए पानी के टैंकर या मोबाइल अग्निशमन यंत्र ही एकमात्र सहारा हैं। रिसॉर्ट संचालकों ने कई बार प्रशासन से क्षेत्र में दमकल गाड़ियां रखवाने की मांग की, पर अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया। हाल ही में लगी आग के बाद भी प्रशासनिक टीमें केवल औपचारिक निरीक्षण तक सीमित हैं।