गौरतलब है कि साल 2013 में यूनेस्को ने जैसलमेर के सोनार दुर्ग को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया हुआ है।
देश ही नहीं दुनिया के चुनिंदा रिहायशी दुर्गों में शुमार जैसलमेर के सोनार किला में आवाजाही के एकमात्र रास्ते से पर्यटन सीजन के दौरान पेश आने वाली भारी दिक्कतों के समाधान के लिए अतिरिक्त रास्ता तैयार करने के लिए केंद्र सरकार का भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) रजामंद है और अब इसके लिए एएसआइ ने लिए संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) से मंजूरी प्रदान करने के लिए प्रस्ताव भिजवाया है। गौरतलब है कि साल 2013 में यूनेस्को ने जैसलमेर के सोनार दुर्ग को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया हुआ है। ऐसे में दुर्ग से वैकल्पिक मार्ग निकालने के लिए यूनेस्को की मंजूरी आवश्यक है। मंजूरी मिल जाने के बाद दशकों से जिस वैकल्पिक मार्ग की जरूरत महसूस की जा रही है, वह धरातल पर आकार ले सकेगा।
पिछले महीनों जैसलमेर की यात्रा पर आए केंद्रीय पर्यटन और कला-संस्कृति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, जिला प्रशासन और नगरपरिषद के अधिकारियों के साथ सोनार दुर्ग के संबंध में बैठक की थी। इसमें मुख्य रूप से दुर्ग से दूसरा रास्ता निकालने पर विचार-विमर्श किया गया। शेखावत ने अधिकारियों से इस संबंध में शीघ्रता से कार्रवाई करने के लिए दिशा-निर्देश दिए थे। जानकारी के अनुसार वैकल्पिक रास्ते के संबंध में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर एएसआइ को सौंपी जा चुकी है। गौरतलब है कि अब तक एएसआइ सोनार दुर्ग की मौलिकता का हवाला देते हुए वैकल्पिक मार्ग के मसले को दरकिनार करता रहा है, लेकिन अब केंद्रीय पर्यटन एवं कला-संस्कृति मंत्री का पद गजेंद्रसिंह शेखावत के सम्भालने के बाद हालात परिवर्तित हुए हैं। लाखों सैलानियों के साथ हजारों स्थानीय आबादी की सुगमतापूर्वक आवाजाही के लिए दुर्ग से अतिरिक्त रास्ते की जरूरत को उच्च स्तर पर महसूस किया गया है।
दुर्ग का वैकल्पिक मार्ग कहां से निकाला जाएगा, यह तो आने वाले समय में तय होगा लेकिन पूर्व में सरकारी स्तर पर करवाए गए सर्वे में रिंग रोड की तरफ से रास्ता निकालना सबसे ज्यादा उपयुक्त माना गया है। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका दुर्ग के लिए वैकल्पिक मार्ग की जरूरत को पिछले कई वर्षों से प्रमुखता से उठाता रहा है।
एएसआइ की तरफ से जैसलमेर दुर्ग से अतिरिक्त रास्ता निकालने के लिए यूनेस्को को प्रस्ताव भिजवाया गया है। यूनेस्को के मार्गदर्शन में यह कार्य करवाया जा सकता है।