APAAR ID: जांजगीर-चांपा जिले में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की अपार आईडी बनाई जा रही है। जिले में इस सत्र में 2 लाख 35 हजार बच्चों की अपार आईडी जनरेट किया जाना है।
APAAR ID: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की अपार आईडी बनाई जा रही है। जिले में इस सत्र में 2 लाख 35 हजार बच्चों की अपार आईडी जनरेट किया जाना है। इसमें 1 लाख 16 हजार बच्चों की अपार आईडी बन गई है। यानी करीब 50 फीसदी बच्चों का ही अपार आईडी बन सका है। अपार आईडी बनाने में शिक्षकों को खासी परेशानी बच्चे का नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि और आधार में त्रुटि होने के चलते हो रही है।
अपार आईडी जनरेट करने के लिए बच्चों का नाम और दाखिल खारिज आधार व स्कूल के यू डाइस मैच नहीं हो पा रहा है। इसके चलते सैकड़ों बच्चों के आवेदन रिजेक्ट हो रहे हैं। जिससे विद्यार्थियों और अभिभावकों को त्रुटि सुधार कराने मशक्कत करनी पड़ रही है। आधार कार्ड में गलती होने पर च्वाइस सेंटरों के दौड़ लगाने पड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों के पहचान के लिए अब अपार आईडी कार्ड जनरेट किया जा रहा है। 12 अंकों की यह अपार आईडी ही बच्चों की पहचान होगी। जो बच्चे की पूरी शिक्षा ग्रहण के दौरान काम में आएगी। इस आईडी में विद्यार्थी के सभी दस्तावेज सुरक्षित रहेंगे। यह यूनिक नंबर डिजी लॉकर के लिंक से जुड़ा रहेगा।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो 50 फीसदी विद्यार्थियों का अपार आईडी जनरेट हो चुका है। वहीं 1 लाख 52 हजार विद्यार्थियों का आधार वेलिडेट का कार्य भी पूरा हो चुका है। यानी इतने बच्चों की आईडी जल्द ही जनरेट हो जाएगी।
अपार आईडी कार्ड बन जाने से छात्राें को किसी भी जगह या अन्य स्टेट व देश में किसी भी जगह जाने पर अपने ओरिजनल शैक्षणिक दस्तावेज साथ लेकर चलने की जरूरत नहीं होगी। किसी भी जगह से यूनिक आईडी कार्ड से विद्यार्थी के संबंध में सभी जानकारी एक क्लिक में मिल जाएगी। अपार आईडी कार्ड डिजी लॉकर से जुड़ा रहेगा। एक बार अपार आईडी बन जाने के बाद विद्यार्थी स्कूल से लेकर कॉलेज जहां तक पढ़ाई करेगा, वही आईडी ही उसके काम आएगी।
इसी तरह शासन को भी इसके कई लाभ हाेंगे। हरेक छात्र की जानकारी सरकार के पास होगी। इससे डुप्लीकेसी पर रोक लगेगी। छात्र एक राज्य से दूसरे राज्य चला जाएगा तो वहां दाखिला लेते ही तुरंत उसकी जानकारी सामने आ जाएगी कि उक्त छात्र किसी राज्य के किसी जिले के किस स्कूल में पंजीकृत है। इससे बच्चे का नाम दो जगह नहीं दर्ज हो पाएगा। इसी दर्ज आधार पर सरकार को बच्चों के लिए योजनाएं बनाते समय भी मदद मिलेगी।