Patrika Raksha Kavach Abhiyan: ऑनलाइन ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इन्हें रोका जाए इसके लिए पत्रिका ने रक्षा कवच अभियान की शुरूआत की है।
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: ऑनलाइन ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इन्हें रोका जाए इसके लिए पत्रिका ने रक्षा कवच अभियान की शुरूआत की है। इसके माध्यम से लोगों को जागरुक करने का काम किया जा रहा है। ताकि इन ठगी से बचा जा सके। इसके तहत कन्या महाविद्यालय में साइबर ठगी से बचने रक्षा कवच कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें थाना प्रभारी प्रवीण कुमार द्विवेदी ने बच्चों को साइबर ठगी से बचने सीख दी, साथ ही उसके उपाय के बारे में भी बताया गया।
डिजिटल युग में बढ़ रहे साइबर अपराधों को रोकने और लोगों को जागरुक करने के लिए पत्रिका रक्षा कवच अभियान का शुभारंभ शुक्रवार से जाज्वल्यदेव कन्या माहाविद्यालय से हुआ। यहां थाना प्रभारी जांजगीर प्रवीण द्विवेदी ने सभी को साइबर अपराध से सतर्क रहने के लिए कहा। आपके साथ फ्रॉड होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करने की बात कही। साथ ही छात्रों ने साइबर ठग को लेकर जागरुक रहने शपथ ली।
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए थाना प्रभारी जांजगीर प्रवीण कुमार द्विवेदी ने बच्चों को सीख दी कि बहुत सतर्क रहें, जाने-अनजाने में भी कोई ऐसी साइट की लिंक पर क्लिक न करें, जिससे आप परेशानी में आएं। यह भी बताया कि मोबाइल से कोई फोटो भी खींच लेता है और उसे डिलिट भी कर दिया तो वह समझ लेता है की वह खत्म हो गया, लेकिन ऐसा नहीं होता वह पिक्कर रिकवर हो जाएगी। वह फोटो कहां खींची गई पुलिस के लिए उसे तलाशना बहुत आसान है।
सोशल मीडिया का उपयोग सावधानी से करें। सोशल मीडिया अनिवार्य है, हमारे पढ़ने-लिखने के लिए हमारी तरक्की के सभी साधन उस पर उपलब्ध है, लेकिन सतर्कता जरूरी है। पत्रिका अखबार की टीम साइबर सुरक्षा के लिए कार्यक्रम कर रही है। पत्रिका हर दिन साइबर सुरक्षा से जुड़ी खबरें और अलर्ट सुझाव प्रकाशित कर रहा है। इसलिए सभी इन खबरों को जरूर पढ़ें और जागरुकता बढ़ाएं।
कार्यक्रम में प्रवीण द्विवेदी आगे बताया कि आजकल कई तरह के फ्रॉड हो रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट के मामले भी सामने आ रहे हैं। जबकि डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ होता नहीं है। उन्होंने कई तरह के मामलों का उदाहरण देते हुए बताया कि अपराधियों के लिए डिजिटल अरेस्ट एक नया और खतरनाक तरीका है, जिसे साइबर ठगों ने विकसित किया है। ठग अक्सर पुलिस, कस्टम, इनकम टैक्स या नारकोटिक्स अधिकारियों की यूनिफार्म पहनकर लोगों से वीडियो कॉल करते हैं। वे झूठे आरोप लगाकर पीड़ित को मानसिक रूप से तोड़ने और डराने के लिए हर संभव तरीका अपनाते हैं।
फ्रॉड कॉल इस तरह भी करते हैं कि फोन लगाकर कहते हैं कि आपका बेटा एक मामले में फंस गया है वीडियो कॉल करके डराया जाता है। जबकि ऐसा कुछ नहीं होता। कार्यक्रम में महाविद्यालय रासेयो प्रभारी हरप्रीत कौर अरोरा ने बताया कि ठगी का फोन मेरे पास भी आया था। पत्रिका पढ़कर इसकी जानकारी पहले से थी। इसलिए बच गई। आप पत्रिका पढ़कर इनमें प्रकाशित घटनाओं के विवरण से सीख ले सकते हैं। जागरूक रहकर फ्रॉड से बच सकते हैं। कार्यक्रम में गर्ल्स कालेज के प्राचार्य डॉक्टर पाटले मौजूद रहे।
भारत में कोई भी सरकारी विभाग वीडियो कॉल के जरिए गिरतारी की धमकी या जुर्माना मांगने का काम नहीं करता।
यदि कोई मामला दर्ज हुआ है, तो फोन पर पूछताछ नहीं होती।
वीडियो कॉल के जरिए गिरतारी का वारंट देने का कोई प्रावधान नहीं है।
साइबर फ्रॉड से बचने के लिए अनजान कॉलर को कोई भी निजी जानकारी शेयर ना करना ही सर्वोत्तम उपाय है।
घटना के बाद घबरा जाते हैं, पहले बैंक जाते हैं, फिर थाना जाते हैं, जब तक रुपए रिकवर होना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में 1930 में शिकायत करें।
जिस नंबर से फ्रॉड हुआ, उसका नंबर एनसीआरपी पर एक कॉलम आता है, चैट एंड रिपोर्ट सस्पेक्ट पर उस नंबर को डाल दीजिए, उस पर जांच शुरू हो जाएगी।