झालावाड़

Sarla Mata Mandir: राजस्थान में यहां रक्षा के लिए उड़ते हुए आया माता का ये अनूठा मंदिर, 200 साल से बिना नींव के टिका है ये मंदिर

Mata Ji Mandir In Rajasthan: रक्षा के लिए उत्तर की ओर सरला देवी का मन्दिर कहीं से उड़कर आते हुए इस स्थान पर बिना नींव के टिक गया, तब से यह आज तक उसी तरह जमीन पर टिका हुआ है।

2 min read
सरला माता का मन्दिर (फोटो: पत्रिका)

Navratri Special 2025: झालावाड़ के झालरापाटन के महात्मा गांधी कॉलोनी और बस स्टेण्ड क्षेत्र में स्थित ‘सरला माता का मन्दिर’ इस क्षेत्र का प्रसिद्ध शक्ति धाम है। इस क्षेत्र के बुजुर्गों के अनुसार पहले यहां जंगल था लेकिन जब झालरापाटन नगर बसा तो उसकी रक्षा के लिए उत्तर की ओर सरला देवी का मन्दिर कहीं से उड़कर आते हुए इस स्थान पर बिना नींव के टिक गया, तब से यह आज तक उसी तरह जमीन पर टिका हुआ है।

मन्दिर के निकट रहने वाली बुजुर्ग महिला बताती है कि उड़कर आए इस मन्दिर को लगभग 200 वर्ष हो गए तब से ही यह मंदिर बगैर नींव का है। पहले यह मन्दिर एक मंजिल का था, जो सपाट जमीन पर था। परन्तु अभी कुछ वर्ष पूर्व स्थानीय नगरपालिका ने जीर्णोद्धार कार्य के तहत इसकी दूसरी मंजिल पर सीमेन्ट के स्तभ बनवाकर छत डलवाई व फर्श करवाकर, पुताई करवाई।

ये भी पढ़ें

Navratri : त्योहार सीजन में निवेश के लिए सोना अब भी टॉप पर, फायदे जानें

पूर्व में इस मन्दिर में जो सीढ़ियां थी, उन पर चढ़कर सरला माता के दर्शन करने जाते थे। । जहां एक कक्ष में यह मूर्ति थी, परन्तु अब कक्ष के बाहर नगरपालिका ने काम करवाए है। देवी कक्ष के बाहर के अन्तराल में तीन द्वार का स्थापत्य राज्याकालीन 18वीं सदी का है।

कक्ष के बीच मे गर्भगृह

भूतल पर बड़े विशाल कक्ष है, जिनके मध्य एक प्रवेश द्वार है। इस प्रवेश द्वार में 9 सीढ़िया ऊपर चढ़कर मुख्य मन्दिर के मण्डप में जाया जाता है। मण्डप के बाद चौकोर अन्तराल कक्ष है। इस कक्ष के बीच में गर्भगृह है।

मन्दिर के पुजारी विश्भरदयाल शर्मा ने बताया कि इस मन्दिर में बरसों से अखण्ड ज्योत जल रही है। यहां देवी का श्रृंगार किया जाता है। सुबह शाम को सभी मिलकर पूजा करते है। यह सार्वजनिक मन्दिर है। बस स्टेण्ड और कॉलोनी के श्रद्धालु ही इस मन्दिर की देखरेख करते है।

तीन फीट ऊंची पाषाण शिला पर मूर्ति

इतिहासकार ललित शर्मा के अनुसार इस मन्दिर के ऊपरी कक्ष के गर्भगृह में 3 फीट ऊंची पाषाण शिला पर 18वीं सदी की दुर्गादेवी की मूर्ति का अंकन है। देवी यहां सिंह पर सवार है। उनके चारों हाथों में तलवार, डमरू, त्रिशूल और पुष्प का अंकन है। देवी यहां परपरागत आभूषण से अलंकृत है, जो 18वीं सदी में मूर्तियों पर उकेरे जाते थे। देवी के शीश पर किरीट मुकुट का सुन्दर अंकन है। मन्दिर के बाहर एक देवी मुख के साथ गणेश और कार्तिकेय की लघु मूर्तियां स्थापित है।

मन्दिर के अन्तराल में दाहिनी और एक चबूतरे पर शिवलिंग स्थापित है, जिसकी पूजा अर्चना होती है। इसके निकट सुखासन में बैठे त्रिमुखी कार्तिकेय की दो हाथ वाली मूर्ति इसी के निकट सुखासन में बैठे गणेश की मूर्ति है। ये दोनों मूर्तियां प्राचीन है, जो चन्द्रभागा मन्दिर क्षेत्र से यहां लाकर प्रतिष्ठित की गई लगती है।

यह मन्दिर झालरापाटन नगर की रक्षार्थ 18वीं सदी में बनवाया गया था, जिसमें दुर्गा की मूर्ति को शिला पर अंकित कर स्थापित किया गया। इसे शिला पर अंकित होने से आमजन ने इसे शिला से ‘सरला माता’ नाम दिया, जो आज भी प्रचलित है।

ये भी पढ़ें

राजस्थान में ये हैं माता के 5 चमत्कारी मंदिर, दर्शनमात्र से ही पूर्ण होती है मनोकामना

Published on:
22 Sept 2025 01:22 pm
Also Read
View All

अगली खबर