Inspirational Story: पति के सहयोग से पहले झुंझुनूं में शोरूम खोला। इसके बाद चिड़ावा, गुढ़ागौड़जी, सीकर और जयपुर के वैशाली नगर में शोरूम खोला। अब पांचों शोरूम पर चालीस युवक-युवतियां काम कर रहे हैं।
Inspirational Story: झुंझुनूं: नई सिलाई मशीन उस समय 1200 रुपए की आती थी। हमारे लिए तब इतनी राशि भी मुश्किल थी। इसके बाद 600 रुपए में पुरानी सिलाई मशीन खरीदी। गांव में सिलाई शुरू की।
ईमानदारी से नियमित मेहनत जारी रखी। समय के साथ तकनीक सीखी, बाजार की मांग का ध्यान रखा। अब झुंझुनूं के भोजासर गांव के निकट संजय नगर निवासी संतोष मील करीब साठ से अधिक महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। वह जिले में महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन गई हैं। जॉब क्रिएटर बनने का संदेश दे रही हैं।
संतोष ने बताया, पति प्रमोद मील अहमदाबाद में निजी कंपनी में नौकरी करते थे। वेतन कम था, घर का खर्चा नहीं चलता था। मैंने वहां छह महीने का सिलाई, कढ़ाई, बुनाई और डिजाइनिंग का कोर्स किया। वहीं, से 600 रुपए में पुरानी सिलाई मशीन खरीदी।
परिवार में हालात ऐसे बने कि अहमदाबाद को छोड़कर वापस गांव संजय नगर लौटना पड़ा। पति ने खेती का कार्य शुरू किया और मैंने सिलाई का। खेती घाटे का सौदा होने लगी। परिवार पर आर्थिक संकट आ गया।
सरकारी नौकरी के पीछे पांच से दस साल भागने की बजाय बिल्कुल छोटे स्तर पर खुद का बिजनेस शुरू करें। नियमित मेहनत और ईमानदारी से बिजनेस करें तो जरूर सफल होगा। जॉब लेने की बजाय जॉब क्रिएटर बनने से ही देश का भला होगा। स्वदेशी को बढ़ावा देना होगा।
इसके बाद झुंझुनूं में किराए का कमरा लेकर रहने लगी। यहां सिलाई, बुनाई और कढ़ाई का कार्य करने लगी। मंडावा मोड़ पर छोटी दुकान किराए पर ली। खुद ही ऑर्डर लाती, कटिंग करती, डिजाइन, करती और मार्केटिंग करती। बड़े दुकानदारों से काम लेकर ग्रामीण महिलाओं से काम करवाने लगी।
पति के सहयोग से पहले झुंझुनूं में शोरूम खोला। इसके बाद चिड़ावा, गुढ़ागौड़जी, सीकर और जयपुर के वैशाली नगर में शोरूम खोला। अब पांचों शोरूम पर चालीस युवक-युवतियां काम कर रहे हैं। अधिकतर नौकरी महिलाओं की दी है। इसके अलावा बीस से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।
संतोष ने बताया, नौवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शादी हो गई। ससुराल में पढ़ाई जारी रखी। स्वयंपाठी के रूप में दसवीं व बारहवीं उत्तीर्ण की। इसके बाद बीए प्रथम वर्ष करने के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। लैपटॉप पर पूरे काम कर लेती हूं। पूरा हिसाब कर लेती हूं।
पीहर वाले भी सहयोग करते हैं। बड़ी बहन हमेशा मार्गदर्शन करती रहती है। अब बेटे और पुत्र वधू को फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करवा दिया। दोनों भी बिजनेस में मदद कर रहे हैं।