झुंझुनूं जिले में 2017 में शुरू हुई ‘कलेक्टर की क्लास’ से अब तक 135 से अधिक युवाओं का चयन सरकारी नौकरियों में हुआ। कोरोना और तबादलों से बंद हुई पहल को फिर से शुरू करने की तैयारी है। जरूरतमंद बच्चों और खासकर बेटियों को इसका बड़ा सहारा मिलेगा।
झुंझुनूं: प्रशासनिक स्तर पर युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने के लिए झुंझुनूं में वर्ष 2017 में तत्कालीन जिला कलेक्टर प्रदीप बोरड ने ‘कलेक्टर की क्लास’ जैसी अनूठी पहल शुरू की थी। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए विशेष रूप से बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता खोला।
बता दें कि अब तक 500 से अधिक अभ्यर्थी तैयार हो चुके हैं। 135 से अधिक युवाओं का चयन सरकारी नौकरियों में हुआ। इनमें तहसीलदार, अध्यापक, पुलिस, एलडीसी, पटवारी और ग्राम सेवक जैसे पद शामिल हैं।
साल 2019 में तत्कालीन कलेक्टर रवि जैन ने ‘एक्सीलेंट 40’ के तहत इसे नया स्वरूप दिया। चुनिंदा 40 बच्चों का बैच तैयार हुआ, जो जिलेभर में चर्चित रहा, लेकिन कोरोना काल में इसे बंद करना पड़ा। इसके बाद जिला कलेक्टर लक्ष्मण कुड़ी के कार्यकाल में इसे फिर चलाया गया। स्वयं कलेक्टर लक्ष्मण कुड़ी और तत्कालीन एसपी मृदुल कच्छावा भी पढ़ाने जाते थे। वर्ष 2023 में यह क्लास फिर से बंद हो गई।
जुलाई 2024 में कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने पहल करते हुए परीक्षा और साक्षात्कार कर 50 बच्चों का बैच भी तैयार कर दिया। सूची तक जारी हो गई, लेकिन उनका तबादला हो गया। इसके बाद से अब तक किसी ने इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया।
कलेक्टर की क्लास में पढ़ाई की है, मेरी सफलता में इसका योगदान रहा। क्लास फिर से शुरू होने से जरूरतमंद बच्चों, खासकर लड़कियों को फायदा होगा।
-ज्योति मील, जूनियर असिस्टेंट
क्लास में अध्ययन करवाया है। जरूरतमंद बच्चों के लिए यह काफी उपयोगी रही है। कई बच्चों का सरकारी नौकरी में चयन हुआ है। खास बात यह है कि इससे जिले को अलग पहचान मिली।
-कमलकांत जोशी, साइंस टीचर
मैं भी कलेक्टर की क्लास में गई थी। इस तरह की क्लास से उन बच्चों को बड़ा सहारा मिलता है, जो कोचिंग की फीस नहीं दे सकते। भविष्य में स्टॉफ भी बढ़ाया जाना चाहिए।
-दीपिका, सब इंस्पेक्टर
झुंझुनूं में कलेक्टर की क्लास चला करती थी, मुझे इसकी जानकारी मिली है। जल्द ही इसे फिर से शुरू किया जाएगा।
-अरुण गर्ग, जिला कलेक्टर, झुंझुनूं