झुंझुनू

Report: देश में 2030 तक हीटवेव के दिन होंगे दोगुने, बरसात की घटनाएं भी बढ़ेगी, जानें और क्या होगा असर

भारत में बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और घटते वन क्षेत्र से 2030 तक लू के दिन दोगुने होने के संकेत हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान, हरियाणा, पंजाब में हीटवेव और भारी बारिश का खतरा बढ़ेगा।

2 min read
Oct 12, 2025
देश में 2030 तक हीटवेव के दिन होंगे दोगुने (फोटो- पत्रिका)

चिड़ावा (झुंझुनूं): भारत में ग्लोबल वार्मिंग और घटते वन क्षेत्र के चलते जलवायु परिवर्तन की रफ्तार खतरनाक होती जा रही है। हालिया रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि साल 2030 तक देश में हीटवेव यानी लू के दिनों की संख्या दोगुनी हो जाएगी और अत्यधिक बरसात की घटनाएं भी तेजी से बढ़ेगी।


इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य, फसलों और प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ेगा। आईपीई ग्लोबल और ईएसआरआई इंडिया की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 43 प्रतिशत तक अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में वृद्धि होने की संभावना है। राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश और पंजाब उन राज्यों में हैं, जहां हीटवेव और भारी बरसात का असर सबसे ज्यादा दिखेगा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थिति आम लोगों के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है।

ये भी पढ़ें

राजस्थान के इस सरकारी अस्पताल में गलत जगह छूने पर भड़की महिला रेजीडेंट, आत्मरक्षा में मारे थप्पड़


फसलों पर संकट


विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में हीटवेव और बरसात का असर साफतौर पर देखा गया है। तेज गर्मी और असामान्य बरसात से फसलें नष्ट हुईं और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। गत दस वर्षों की तुलना में लगातार तापमान बढ़ता जा रहा है। राजस्थान के बहुत से शहरों का तापमान 50 डिग्री तक पहुंच रहा है। उधर, बरसात के आंकड़े भी लगातार बढ़ रहे हैं। इस साल भी औसत से कहीं ज्यादा बरसात दर्ज की गई।


बाजरे के साथ ग्वार में भी नुकसान


पिछले दिनों आई बारिश के कारण बाजरे की फसल में बड़े पैमाने पर नुकसान हो गया था। किसान शांति देवी कुड़ी, कोयली देवी, मंजू कुड़ी सहित अन्य ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार द्वारा बाजरे की खराब फसल का अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया।


राजस्व रिकॉर्ड में अतिवृष्टि नहीं मानी जा रही है। लेकिन बाजरे के साथ ग्वार, मूंग, मोठ सहित अन्य फसलों का भी बड़े पैमाने पर नुकसान हो गया। रिटायर्ड अध्यापक किसान फूल चंद कुड़ी ने बताया कि खराब फसलों का सरकार के द्वारा कोई मुआवजा नहीं दिया गया।


क्या है विशेषज्ञों की राय


विशेषज्ञों का मानना है कि हीटवेव से बचाव के लिए पर्याप्त पानी पीना, दोपहर में धूप से बचना और केवल आवश्यक होने पर ही बाहर निकलना जरूरी है। राजकीय उप जिला अस्पताल, चिड़ावा की चिकित्सक डॉ. सुमनलता कटेवा ने बताया कि ‘हीटवेव के समय शरीर को हाइड्रेट रखना सबसे बड़ा उपाय है।


सावधानी बरतने से लू और डिहाइड्रेशन से बचाव किया जा सकता है। हीटवेव से बचने के लिए पानी पीते रहना, दोपहर में धूप से बचाव, जरूरी होने पर ही घर से निकले सहित अन्य जरूरी उपाय भी करने चाहिए।


पांच साल में हीटवेव के दिन


राज्य-2021-2022-2023-2024-2025
पश्चिमी राजस्थान-06-58-03-29-33
पूर्वी राजस्थान-04-28-00-23-21
पूर्वी मध्यप्रदेश-00-34-13-26-10
पश्चिमी मध्यप्रदेश-02-42-04-24-07
पंजाब-00-22-03-27-07
हरियाणा-02-37-05-30-11
पूर्वी उत्तर प्रदेश-00-33-11-33-08
पश्चिमी उत्तर प्रदेश-02-28-05-32-05


रिपोर्ट में बताए गए मुख्य कारण


-ग्लेशियरों का लगातार पिघलना
-वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) में वृद्धि
-पेड़ों की अंधाधुंध कटाई
-पॉलिथीन का बढ़ता इस्तेमाल
-पर्यावरण प्रदूषण में इजाफा


क्या होगा संभावित असर


-अचानक तेज गर्मी और लू के प्रकोप में वृद्धि
-फसलों की पैदावार पर सीधा प्रभाव
-बाढ़ और जलभराव की घटनाएं बढ़ेगी
-अस्पतालों में हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के मरीजों की संख्या में इजाफा
-बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर असर


ग्लोबल वार्मिंग और पेड़ों के काटे जाने से हीटवेव के दिनों में बढ़ोतरी होने के संकेत हैं, जिससे निपटने के अभी कदम नहीं उठाए तो स्थिति ज्यादा भयावह होगी।
-दीपेंद्र बुडानिया, वरिष्ठ व्याख्याता, डाइट भूगोल, झुंझुनूं

ये भी पढ़ें

Khatu Shyam Ji: खाटूश्यामजी के भक्तों के लिए बड़ी खबर, 20 घंटे तक बंद रहेंगे मंदिर के पट, नहीं हो सकेंगे दर्शन

Published on:
12 Oct 2025 03:02 pm
Also Read
View All

अगली खबर