Jodhpur Waste Energy Plant: प्लांट में प्रतिदिन 600 टन कचरे की खपत होगी, जिससे 6 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। जुलाई 2025 से काम शुरू हुआ और अब तक पूरे प्रोजेक्ट का 30 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है।
जोधपुर। शहर को कचरा मुक्त बनाने की दिशा में सबसे बड़ी पहल के रूप में केरू में बन रहा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट अब रफ्तार पकड़ चुका है। पर्यावरण एनओसी मिलने में सात साल की देरी के बाद जुलाई 2025 से काम शुरू हुआ और अब तक पूरे प्रोजेक्ट का 30 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है। नगर निगम की यह महत्वाकांक्षी योजना न सिर्फ जोधपुर को कचरे के ढेरों से मुक्ति दिलाएगी, बल्कि कचरे से बिजली बनाकर निगम के लिए नई आय का स्रोत भी बनेगी।
निगम आयुक्त सिद्धार्थ पालानीचामी के अनुसार, प्लांट में प्रतिदिन 600 टन कचरे की खपत होगी, जिससे 6 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। बीओटी मॉडल पर 125 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को जिंदल अर्बन वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड को सौंपा गया है। प्रति टन कचरा प्रोसेसिंग के लिए निगम को 126 रुपये मिलेंगे। इससे हर माह लगभग 22 लाख 68 हजार रुपए की आय होगी। एक वर्ष बाद यहां से उत्पन्न बिजली डिस्कॉम को देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
प्रोजेक्ट के अटकने का मुख्य कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पर्यावरण स्वीकृति (एनओसी) रहा, जो लगभग सात साल बाद जारी हुई। एनओसी का इंतजार खत्म होने पर ही कार्य दोबारा शुरू हो सका। निगम अधिकारियों के अनुसार, 2026 के अंत तक प्लांट से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा। दावा है कि अगले वर्ष दिसंबर तक शहर में कचरे की समस्या खत्म होने लगेगी और सड़कें कचरे के ढेरों से मुक्त दिखेंगी।