कार्यक्रम में ऊंट-पशुपालन विशेषज्ञ डॉ. इल्से कोहलर-रोलेफसन ने ऊंट को की-स्टोन स्पीशीज और जीवित धरोहर के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया।
जोधपुर। राजस्थान पत्रिका समूह कला के संवर्धन के लिए वर्षों से योगदान दे रहा है। पारंपरिक कला और कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए पत्रिका हर संभव प्रयास करता है। इसी कड़ी में इस बार पत्रिका पैट्रन में पाटी की ओर से नवाचार किया जा रहा है। जोधपुर आर्ट्स वीक में पत्रिका पैट्रन होना उसी दिशा में एक कदम है। शुक्रवार को जोधपुर आर्ट्स वीक में पत्रिका के सहयोग से विशेष पैनल चर्चा ‘पशुपालक धरोहर आज : राजस्थान से सोमालिया तक’ आयोजित की गई।
जोधपुर आर्ट्स वीक (एडिशन 1.0) के तीसरे दिन श्री सुमेर स्कूल में एक प्रभावशाली पैनल चर्चा ‘पशुपालक धरोहर आज : राजस्थान से सोमालिया तक’ में धकान कलेक्टिव और ऊंट-पशुपालन विशेषज्ञ डॉ. इल्से कोहलर-रोलेफसन ने ऊंट को की-स्टोन स्पीशीज और जीवित धरोहर के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया। इस विमर्श ने पारिस्थितिक ज्ञान, महिला श्रम, मौखिक परंपराओं और समकालीन कला-प्रथाओं को जोड़ते हुए जलवायु परिवर्तन के युग में लचीले भविष्य की कल्पना की।
कार्यक्रम में कला, पारिस्थितिकी और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उत्सव देखने को मिला, जिसमें शहर के ऐतिहासिक और समकालीन स्थलों पर कार्यशालाएं, वॉकथ्रू और पैनल चर्चाएं आयोजित हुई। राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क में ‘राव जोधा ऐज अ लिविंग आर्काइव’ नामक एक गहन और सहभागी कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसे पाटी के लैंड टीचिंग फेलोज ने संचालित किया। इस यात्रा ने मारवाड़ क्षेत्र के इतिहास को उसकी ज्वालामुखीय उत्पत्ति और डायनासोर युग से लेकर वर्तमान पारिस्थितिक और सांस्कृतिक परिदृश्य तक को रेखांकित किया।
श्री सुमेर स्कूल में ‘कतरन दग्हा : स्टिचिंग वर्कशॉप’ का संचालन कलाकार ऋचा आर्या ने किया। प्रतिभागियों ने इसमें कपड़े को पुन: उपयोग कर थैले और अन्य वस्तुएं बनाने तथा कढ़ाई तकनीक सीखी। कलाकार सरूहा किलारू ने प्रतिभागियों को ड्राईपॉइंट प्रिंटमेकिंग की बारीक कला से परिचित कराया, जिसमें एंटाग्लियो तकनीक की खूबसूरती को प्रत्यक्ष अनुभव कराया गया। इसी दौरान ‘पाटी रेज़डिेंसी जोधपुर वॉकथ्रू’ ने दर्शकों को हाउस ऑफ प्रेमचंद की सैर कराई।
दोपहर बाद का कार्यक्रम खास बाग में आयोजित हुआ, जहां क्यूरेटर साक्षी महाजन ने कलाकार अवधेश तम्रकार की तोरण-प्रेरित इंस्टॉलेशन का वॉकथ्रू कराया। यह कलाकृति शिल्पकार थान चंद मेहरा के साथ मिलकर बनाई गई थी और इसे श्राइन एम्पायर का सहयोग प्राप्त था। तोरण को इस कृति में एक परतदार सांस्कृतिक स्मृति और समकालीन रूप में पुनर्कल्पित किया गया।
खास बाग में ‘जोधपुर की स्थापत्य विरासत की खोज’ शीर्षक पैनल चर्चा का आयोजन आरएमजेड फाउंडेशन के सहयोग से किया गया। इसमें कलाकार आयेशा सिंह, चिला कुमारी सिंह बर्मन, ऋचा आर्या व सरूहा किलारू ने भाग लिया, जबकि कामना आनंद ने क्यूरेटोरियल दृष्टिकोण साझा किया। चर्चा की अध्यक्षता स्थापत्य इतिहासकार मिमांशा चारण ने की। इस संवाद में महिलाओं के योगदान और जोधपुर की जल संरचनाओं के भूले-बिसरे इतिहासों को रेखांकित किया गया।