शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इस गिरावट के पीछे शिक्षक अभाव, विद्यालयों की उपस्थिति में गिरावट, आधारभूत ढांचे की कमी और ब्लॉक स्तर पर निगरानी तंत्र की कमजोरी मुख्य कारण हैं।
जोधपुर। राजस्थान काउंसिल ऑफ स्कूल एजुकेशन की ओर से सितंबर 2025 के लिए जारी नवीनतम जिला शिक्षा रैंकिंग में जोधपुर को प्रदेश के 41 जिलों में अंतिम स्थान मिला है। वहीं चूरू जिले ने सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते हुए राज्य में पहला स्थान हासिल किया। यह रिपोर्ट राज्य के सभी जिलों के स्कूल शिक्षा प्रदर्शन, संसाधनों और प्रशासनिक प्रबंधन की स्थिति का समग्र मूल्यांकन करती है।
रिपोर्ट के अनुसार चूरू ने 55 अंक हासिल कर शीर्ष स्थान पाया, जबकि जोधपुर मात्र 24.40 अंकों के साथ सबसे निचले पायदान पर रहा। जोधपुर के कई ब्लॉकों मसलन पीपाड़ सिटी (23.89 अंक), बालेसर (25.56), भोपालगढ़ (25.11), केरू (26.33), और जोधपुर सिटी (22.95) ने बेहद कमजोर प्रदर्शन किया। यह स्थिति ऐसे समय में आई है जब जोधपुर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और शिक्षा के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है।
शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इस गिरावट के पीछे शिक्षक अभाव, विद्यालयों की उपस्थिति में गिरावट, आधारभूत ढांचे की कमी और ब्लॉक स्तर पर निगरानी तंत्र की कमजोरी मुख्य कारण हैं। कई ग्रामीण स्कूलों में कंप्यूटर, विज्ञान प्रयोगशालाओं और खेल संसाधनों की कमी भी रैंकिंग पर असर डाल रही है।
स्थानीय शिक्षाविदों का कहना है कि जोधपुर की स्थिति सुधारने के लिए तत्काल विशेष अभियान चलाया जाना चाहिए। जिला शिक्षा अधिकारी स्तर पर ब्लॉकवार समीक्षा और प्रोत्साहन आधारित निगरानी व्यवस्था लागू करने की जरूरत है। राज्य की औसत रैंकिंग 45.61 अंक रही, जो दर्शाती है कि जोधपुर औसत से लगभग आधे अंक नीचे है। गौरतलब है कि इस रैकिंग के लिए सभी डाटा की फीडिंग ऑनलाइन होती है। जोधपुर लम्बे समय से पिछली सरकार के कार्यकाल के शिक्षक और कार्मिक जमे हुए हैं जो कभी भी तबादले की आशंका में काम को लेकर सक्रिय नहीं है।