Rajasthan News: राजस्थान के जोधपुर जिले के बालेसर तहसील के कोनरी गांव में गुरुवार को शोक की लहर दौड़ गई। भारतीय थल सेना के हवलदार (क्लर्क) हराराम सारण की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव पहुंची।
Rajasthan News: राजस्थान के जोधपुर जिले के बालेसर तहसील के कोनरी गांव में गुरुवार को शोक की लहर दौड़ गई। भारतीय थल सेना के हवलदार (क्लर्क) हराराम सारण की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव पहुंची। इसके बाद दस वर्षीय जसवंत सारण ने अपने शहीद पिता को अंतिम विदाई देते हुए मुखाग्नि दी। शहीद की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। श्मशान घाट तक का मार्ग 'भारत माता की जय' और 'हराराम सारण अमर रहे' के नारों से गूंज उठा।
बता दें, चीन सीमा पर ऑपरेशन स्नो लियोपार्ड के तहत लेह के न्योमा में तैनात 27 वर्षीय हराराम का 5 अगस्त को अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण निधन हो गया। उनकी पार्थिव देह को आज सुबह सड़क मार्ग से जोधपुर लाया गया, जहां से जसनाथ नगर टोल प्लाजा से उनके गांव तक 15 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। सुबह 11:45 बजे जैसे ही पार्थिव देह उनके घर पहुंची तो परिवार और गांव में कोहराम मच गया।
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल बलदेव सिंह मानव ने बताया कि हवलदार हराराम सारण, पुत्र सोनाराम सारण, भारतीय सेना की उत्तरी कमान के अंतर्गत लेह के न्योमा में चीन सीमा पर ऑपरेशन स्नो लियोपार्ड के तहत ड्यूटी पर तैनात थे। 3 अगस्त को अत्यधिक ठंड और बर्फीले मौसम के कारण उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें तुरंत पश्चिमी कमान के चंडी मंदिर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान 5 अगस्त को उन्होंने अंतिम सांस ली।
शहीद हराराम की पार्थिव देह को आज सुबह 10 बजे उनके पैतृक गांव कोनरी लाया गया। भारतीय थल सेना द्वारा उन्हें राजकीय सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि के बाद सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान उनके निवास पर जनप्रतिनिधियों, ग्रामीणों और युवाओं की भारी भीड़ जुट रही है। इधर, गांव में शोक का माहौल है और हर कोई इस नौजवान की शहादत पर गर्व और दुख दोनों महसूस कर रहा है।
बता दें, हराराम सारण के परिवार में उनके माता-पिता, एक बेटा, एक बेटी, एक बहन और दो भाई हैं। उनके पिता सोनाराम खेती करते हैं, जबकि माता गृहिणी हैं। उनके चचरे भाई भी भारतीय सेना में कार्यरत हैं और सबसे बड़े भाई ट्रक ड्राइवर हैं।