हाईकोर्ट ने रीट लेवल-1 परीक्षा के लिए पात्र मानकर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रमाण-पत्र जारी करने और शिक्षा विभाग के उसी अभ्यर्थी को पात्र नहीं मानने के मामले में दखल किया है।
जोधपुर। हाईकोर्ट ने रीट लेवल-1 परीक्षा के लिए पात्र मानकर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रमाण-पत्र जारी करने और शिक्षा विभाग के उसी अभ्यर्थी को पात्र नहीं मानने के मामले में दखल किया है। कोर्ट ने कहा कि जब एक सरकारी एजेंसी पात्र मान चुकी तो दूसरी सरकारी एजेंसी उसे अपात्र नहीं ठहरा सकती। यह निर्णय न्यायाधीश फरजंद अली की एकल पीठ ने विक्रम सिंह की याचिका पर दिया।
याचिकाकर्ता का कहना था कि उसे रीट में 82 अंक मिले थे, जो 150 में से थे, लेकिन शिक्षा विभाग ने यह कहते हुए पात्रता रद्द कर दी कि अंक 55 प्रतिशत से कम हैं। निर्धारित न्यूनतम अंकों का मानक 55 प्रतिशत था, जबकि राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद की गाइडलाइन में 150 अंकों में से 55 प्रतिशत का मतलब 82.5 अंक माना। हालांकि इस मामले में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने याचिकाकर्ता को रीट लेवल-1 के लिए पात्रता प्रमाण पत्र जारी किया।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए कहा कि रीट केवल योग्यता परीक्षा है और अगर उम्मीदवार निर्धारित पात्रता मानकों को पूरा करता है तो उसे केवल अंकों के आधार पर उम्मीदवारी से वंचित नहीं किया जा सकता, खासकर जब उसे पात्रता प्रमाण पत्र जारी किया गया हो।