Kanker News: यह सच है कि मौत कभी भी, किसी भी रूप में आ सकती है। कांकेर जिले से एक ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है।
CG News: यह सच है कि मौत कभी भी, किसी भी रूप में आ सकती है। कांकेर जिले से एक ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। ग्राम दुर्गूकोंदल निवासी संतोष दुग्गा पिता जगनूराम दुग्गा की भजिया खाते समय हुई एक घटना के बाद मौत हो गई।
मिली जानकारी के अनुसार, संतोष दुग्गा 15 सितंबर की शाम करीब 6 बजे अपने घर पर बच्चों के साथ बैठकर भजिया खा रहे थे। इसी दौरान अचानक उन्हें खांसी आई और भजिया का एक टुकड़ा उनकी सांस नली में फंस गया। परिजनों ने तुरंत पानी पिलाकर उसे निकालने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। स्थिति बिगड़ने पर परिजन उन्हें तुरंत दुर्गूकोंदल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे।
परिजनों का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण संतोष की हालत लगातार बिगड़ती गई। सांस लेने में तकलीफ़ बढ़ने से वह बेहोश हो गए। इलाज की कमी को देखते हुए परिजनों ने उन्हें रिफर करवाया। हालांकि रिफरल के बाद भी एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई। बड़ी मशक्कत के बाद परिजनों को ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करनी पड़ी और फिर निजी वाहन से उन्हें जिला अस्पताल कांकेर लेकर जाया गया।
जिला अस्पताल में भर्ती करने के बाद चिकित्सकों ने इलाज शुरू किया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। सांस की नली में फंसे भजिया के टुकड़े और लंबे समय तक पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण संतोष दुग्गा की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि संतोष पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे, ऐसे में इस घटना ने उनकी स्थिति को और गंभीर कर दिया।
मौत की खबर मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। परिजनों ने शव को गांव लाकर अंतिम संस्कार कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय पर एंबुलेंस और बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल जाती, तो संतोष की जान बचाई जा सकती थी। यह घटना स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और आपातकालीन सेवाओं की धीमी व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े करती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए और समय पर एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।