कांकेर

बचपन में पिता ने दी थी नकली बंदूक, बड़ा होकर लीड किया 100 ऑपरेशन, ढेर कर दिया 58 नक्सली

Republic Day 2025: देश में गणतंत्र लागू हुए भले 75 साल पूरे हो गए हों, लेकिन बस्तर में गण और तंत्र की लड़ाई आज भी जारी है। हालांकि, बीते कुछ सालों में लाल आतंक का रंग फीका पड़ा है। इसमें रामेश्वर देशमुख जैसे जांबाज लड़कों की भूमिका अहम है...

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Jan 26, 2025

Republic Day 2025: @ यशवंत चक्रधारी। देश में गणतंत्र लागू हुए भले 75 साल पूरे हो गए हों, लेकिन बस्तर में गण और तंत्र की लड़ाई आज भी जारी है। हालांकि, बीते कुछ सालों में लाल आतंक का रंग फीका पड़ा है। इसमें रामेश्वर देशमुख जैसे जांबाज लड़कों की भूमिका अहम है, जो नक्सलियों को उनकी मांद में घुसकर मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं।

रामेश्वर अब तक बस्तर में 100 नक्सली ऑपरेशन लीड कर चुके हैं। इनमें 30 ऑपरेशनों में बड़ी कामयाबी हाथ आई। इसमें उन्होंने अपनी टीम के साथ शंकर राव जैसे बड़े नेताओं समेत 58 नक्सलियों को मार गिराया। रामेश्वर अभी भानुप्रतापपुर थाने में बतौर इंस्पेक्टर पदस्थ हैं। केंद्रीय गृहमंत्री दक्षता मैडल के लिए उनका चयन हुआ है।

राष्ट्रपति से पहले ही 2 बार किए जा चुके सम्मानित

6 साल बस्तर के अलग-अलग थानों में सेवाएं देने के बाद रामेश्वर का 2018 में राजनांदगांव ट्रांसफर हो गया। इससे एक साल पहले 2027 में उन्हें बहादुरी के लिए राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित किया गया। 2022 में जब राजनांदगांव से दोबारा इन्हें बस्तर भेजा गया, उस साल भी इन्हें दोबारा राष्ट्रपति ने अवॉर्ड देकर सम्मानित किया था। नक्स्ल प्रभावित इलाकों में राज्य के अंतिम छोर बांदे थाने जैसी जगहों पर ड्यूटी करते हुए अब वे भानुप्रतापपुर में सेवाएं दे रहे हैं।

देशमुख ने बताया कि बादे थाने में ऑपरेशन में जाते थे तो घने जंगलों में कई बार टीम के साथ कई दिनों तक जंगल में फंस जाते थे। वहां नेटवर्क भी काम नहीं करता। ऐसे में नक्सलियों द्वारा सड़क काटना, पुल उड़ा देना और गाड़ियों की तलाशी जैसी चुनौतियों के बावजूद बीजापुर में 6 साल और 2 साल बादे थाने में रहते हुए नक्सल ऑपरेशन में काम किया। कई बड़े नक्सली को हमारे टीम के द्वारा मार गिराया गया हैं।

बीजापुर में 6, तो राज्य के आखिरी छोर बांदे में 2 साल तैनात रहकर नक्सलियों का सफाया किया

रामेश्वर के पुलिस में आने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। दुर्ग जिले के भिलाई शहर में जन्मे रामेश्वर के पिता केदार देशमुख शुरू से ही बेटे को देश सेवा में देखना चाहते थे। बचपन से ही बेटे को इस रूप में देखना चाहते थे, इसलिए पहली कक्षा में ही एक वर्दी और नकली तमंचा दिला दिया था। रामेश्वर ने बचपन में उस वर्दी और पिस्तौल के साथ तस्वीरें भी खिंचवाई है। यहीं से उनके दिल-दिमाग में भी यह बात बस गई थी कि बड़े होकर उन्हें पुलिस में जाना है। इसके लिए खूब मेहनत की और 2012 में बीजापुर से बतौर सब इंस्पेक्टर अपने कॅरिअर की शुरुआत की। पिता का भी सपना पूरा किया। उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं।

इस गणतंत्र दिवस पर रामेश्वर सभी पैरेंट्स को संदेश देना चाहते हैं कि अपने बच्चों को शुरू से राष्ट्र और समाजसेवा के लिए प्रेरित करें। उन्हें हमेशा अच्छे काम करने की प्रेरणा दें। बचपन में सिखाई गई आदतें ही मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं। बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा, तो परिवार, समाज के साथ राष्ट्र का भी नाम रौशन होगा। गौरतलब है कि देशमुख को गृहमंत्री दक्षता सम्मान 31 अक्टूबर को दिया जाएगा। गौरतलब है कि सम्मान की यह श्रृंखला भारत सरकार ने पिछले साल ही शुरू की है। इसे लौह पुरुष रदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर दिया जाता है।

पहली पोस्टिंग में तीन नक्सली मार गिराए, तीन साल में प्रमोशन

2012 में बीजापुर में सब इंस्पेक्टर बनते ही वे नक्सल उन्मूलन अभियान का हिस्सा बन गए थे। महज एक साल की नौकरी में उन्होंने अपने साथियों के साथ जॉइंट ऑपरेशन में तीन नक्सलियों को मार गिराया। इलाके में नक्सलियों का नेटवर्क ध्वस्त करने में भी अहम भूमिका रही। इसी बहादुरी को देखते हुए 2015 में सरकार ने कंधे पर एक सितारा बढ़ाते हुए रामेश्वर को इंस्पेक्टर प्रमोट किया। इसके बाद से ही ये अपने थाना क्षेत्र और आसपास के इलाकों में चलाए जाने वाले नक्सल ऑपरेशन को साथी अफसरों के साथ लीड करते आए हैं।

Updated on:
26 Jan 2025 08:02 am
Published on:
26 Jan 2025 07:59 am
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